परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश करना

परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश करना

“देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला। तब मैं  तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा (सुनना और प्राप्त करना, प्रेम करना और  उसका पाजन करना) चलता रहूँगा; और मैं चौड़े स्थान में चला फिर करूँगा,  क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।” (और अत्यंतापेक्षित है) -भजन संहिता 119:40, 44-45

यदि आप सचमुच में परमेश्वर के वचन से प्रेम करते हैं, यदि आप उसे सुनते, उसे प्राप्त करते और पालन करते हैं, तो आपके पास स्वतन्त्रता होगी और “आसान” जीवन व्यतीत करेंगे। दूसरे शब्दों में जीवन कठिन, निराश और कठोर नहीं होगा। आपका आनंद पूरा होता है जब आप अपने जीवन के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करते और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।

बाइबल सिखाती है कि जो परमेश्वर के निर्देशों को पालन नहीं करते हैं जो उसके वचन पर ध्यान नहीं देते हैं, वे उस विश्राम के स्थान में प्रवेश नहीं करते हैं जिसका प्रस्ताव वह उन्हें देता है। इसलिए जब आप हतोत्साहित या निराश महसूस करें या अपनी शांति और अपने आनंद को खो दें, तो स्वयं से पूछिए, “क्या मैं परमेश्वर के वचन पर विश्वास करता हूँ?”

अपने संघर्ष से कभी भी मुक्त होने का एक मात्र रास्ता उसके वचन पर विश्वास करना और पालन करना है जो कुछ यीशु ने हमारे हृदय में करने के लिए रखा है। परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना है हमें संघर्ष करने से मुक्त करता है ताकि हम परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में विश्राम पाएँ। वचन कहता है, “परन्तु हम जिन्होंने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं।” (इब्रानियों 4:3)

यदि आपके विचार नकारात्मक बन गए हों, और आप संदेह से भरे हुए हों तो यह इसलिए है क्योंकि आपने सुनना, पाना, और परमेश्वर के वचन का पालन करना छोड़ दिया है। जितना जल्दि आप परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना प्रारंभ करेंगे, आपका आनंद वापस लौटेगा और आप पुनः “विश्राम में होंगे।” और उसने विश्राम का यह स्थान जहाँ पर परमेश्वर आपको देखना चाहता है वह आपके प्रतिदिन के जीवन में आएगा।

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