क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम हे अब्बा, हे पिता कह कर पुकारते हैं। – रोमियों 8:15
भय हमारे जीवनों में एक शक्तिशाली प्रभाव हो सकता है, पर यह वास्तव में दुश्मन का विश्वास के प्रति विपर्यास है। वह हम से कहता हैः “जो मैं आपको कह रहा हूँ उस पर विश्वास करें। यह नहीं काम करेगा। आपकी प्रार्थनाओं का कोई फायदा नहीं। आप परमेश्वर के साथ सही स्थिति में नहीं है। आप हार चुके हों।”
भय आपको सदा जो आप नहीं हो, जो आपके पास नहीं है, जो आप नहीं कर सकते और जो आप कभी नहीं होंगे को बताता है। पर रोमियों 8:15 कहती है आप परमेश्वर की एक संतान है जो उसे “अब्बा, पिता” कह सकते है।
शब्द अब्बा एक वो शब्द था जो छोटे बच्चे अपने पिताओं को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल करते थे। यह हमारे शब्द “डैडी” के समान है। यह पिता शब्द से कम रस्मी है और यह एक बच्चे और उसके पिता के बीच एक अरामदायक निकटता को दर्शाता है।
यीशु ने कहा कि हम परमेश्वर को “अब्बा” कह सकते है क्योंकि उसने हमें सारे डर से छुटकारा दिया है। वह सदा अपने प्रिय बच्चों की देखभाल करेगा और हम रद्द किए जाने के भय के बिना उस तक पहुँच सकते है। जब हम किसी समस्या या दर्द के साथ उसकी तरफ भागते है, वह हमें तसल्ली देने और हमें उत्साहित करने के लिए हमारी तरफ दौड़ता है।
आरंभक प्रार्थना
अब्बा पिता, मुझे आपकी संतान बनाने के लिए धन्यवाद। मैं जानती हूँ कि आप मेरी देखभाल करेंगे, इसलिए मैं भय की गुलामी में जीवन नहीं व्यतीत करना चाहती हूँ। मैं आपसे प्रेम करती हूँ!