“और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।” -मत्ती 6:12
किसी भी समय जब आप दूसरे व्यक्ति के द्वारा पीड़ित होते हैं तो हमेशा एक भावना होती है कि उस व्यक्ति के ऊपर आपका कुछ कर्ज़ बाकि है। इसी प्रकार जब आप किसी को पीड़ा देते हैं आपको यह भावना होनी चाहिए कि आपको इसे ठीक करने की या इसी प्रकार वापस करने की ज़रूरत है। अन्यायपूर्ण व्यवहार, किसी प्रकार का दुव्र्यवहार, आत्मिक क्षेत्र में एक “न चुकाया हुआ कर्ज़” छोड़ देता है। इस प्रकार का कर्ज़ ऐसे कर्ज़मन और भावनाओं में महसूस किए जाते हैं। अन्य लोगों के ऊपर आपका जो कर्ज़ है उसे यदि बदले की भावना या आप पर उनका जो कर्ज़ है बहुत भारी या आपके हृदय पर बहुत बोझिल बन जाता है। यहाँ तक कि आप अपने शरीर मे अस्वस्थ परिणाम देखते हैं।
यीशु ने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखाया। “हमारे अपराधों के कर्ज़ को क्षमा कर, जैसे हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है (छोड़ दिया है, माफ़ कर दिया है, कर्ज़ को जाने दिया है और बदले की भावना को छोड़ दिया है,।” (मत्ती 6:12) वह परमेश्वर से हमारे पापों को क्षमा करने की प्रार्थना करने के विषय में कह रहा था और उसने इसे “कर्ज़” कहकर संबोघित किया। कर्ज़ एक ऐसी बात है जिसे एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति को देना होता है। यीशु ने कहा कि परमेश्वर हमारे कर्ज़ को माफ़ करेगा, उन्हें मुक्त कर देगा, उन्हें जाने देगा, और हमारे प्रति ऐसा व्यवहार करेगा मानो कभी कोई कर्ज़ देना ही नहीं था। उसने हमें यह भी आज्ञा दी कि उसी प्रकार उन लोगों से भी व्यवहार करें जो हमारे कर्ज़दार हैं। एक बार फिर मुझे कहने दें कि यह कठिन लग सकता है परन्तु किसी से घृणा करना और अपना संपूर्ण जीवन उस कर्ज़ को इकट्ठा करते हुए बीताना अधिक कठिन है जो वह कभी चुका नहीं सकता है।
बाइबल कहती है कि परमेश्वर हमारा कर्ज़ नहीं रखता है। (यशायाह 61:7-8 देखिए) मैंने इस वचन पर तब तक ध्यान नहीं दिया था जब तक पीछले कुछ वर्ष पूर्व जब क्षमा, और कर्ज़, और माफ़ करने के विषय में अध्ययन कर रही थी। कर्ज़ माफ़ी किसी व्यक्ति के लिए एक कुन्जी हो सकती है जिसे पीड़ा हुई हो। जब बाइबल कहती है कि परमेश्वर हमें वापस भुगतान करता है मूलरूप से इसका अर्थ है कि परमेश्वर हमें वह कर्ज़ वापस करता है जो हमें मिलना है!