
तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है उसी पर सन्तोष करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, “मैं तुझे कभी ना छोड़ँगा, और ना कभी तुझे त्यागूँगा। -इब्रानियों 13:5
हम में से कितने असल में यह कह सकते है, “मैं किसी से जलन नहीं रखता या जो दूसरों के पास जौ है उससे ईष्या नहीं करता। अगर परमेश्वर ने यह उन्हें दिया है, तब मैं चाहता हूँ कि वह इसका आनन्द लें”
वचन कहता है” तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है उसी पर सन्तोष करो (इब्रानियों 13:5) मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर हमें यह देखने के लिए परखता है कि क्या हम इस आयत के अनुसार जीवन व्यतीत करते है।
कई बार ऐसे समय होंगे जब वह हमारे सामने किसी को लाएगा जिसके पास ठीक वो होगा जो हम चाहते है-केवल यह देखने के लिए हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी। जब तक हम “मैं प्रसन्न हूँ क्योंकि आप आशीष पाए है” की परीक्षा से पास नहीं होते, हम जितना अभी हमारे पास है उससे ज्यादा कभी भी प्राप्त नहीं करने जा रहे।
अगर आप ने परमेश्वर से कुछ माँगा है और अभी तक यह आपको नहीं मिला-तो निश्चित हो जाएं कि वह उस को आपसे दूर नहीं रख रहा। वह साधारण इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि आप ईष्या से छूट जाएं और उसको अपने जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता बनाएं।
परमेश्वर चाहता है कि हम हर ढंग में उन्नति करें। वह चाहता है कि लोग उसकी भलाई को और कितनी अच्छी तरह से वह उनकी देखभाल करता को देखें। पर हमें जितना हम परमेश्वर की आशीषों को चाहते उससे ज्यादा उसे चाहना चाहिए।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं चाहती हूँ कि आप मुझे मेरे जीवन के वह क्षेत्र दिखाए जिनमें मैं ईर्ष्यालु और लालची हूँ, और मेरी प्राथमिकता को पुनव्यवस्थित करने में मेरी सहायता करें। मैं आपकी आशीषों से ज्यादा आपको चाहती हूँ।