तब मैंने प्रभु का यह वचन सुना, “मैं किसको भेजूँ, और हमारी ओर से कौन जाएगा?” तब मैंने कहा, “मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज।” -यशायाह 6:8
इस समय मैं कष्ट में होती यदि मैंने जीवन में परमेश्वर के बुलाहट के प्रति न कहा होता। मैं घर में ठहरी रहती, और टमाटर की खेती करने का प्रयास करती, और मेरे पति के कपड़े सिलती रहती। क्योंकि यही बातें थी जिनके विषय में मैं सोचती थी कि पड़ोस में रहने के लिए ये बातें आवश्यक हैं। परन्तु मैं अपने जीवन भर दुःखपूर्ण स्थिति में रहती। आज अपने जीवन के लिए इस सत्य को ले लें।
जब परमेश्वर ने डेव और मुझको चंगाई और आत्मा का बपतिस्मा और आत्मा के वरदान, के विषय में शिक्षाएँ दिखाना प्रारंभ किया, हम ऐसे कलीसिया में जा रहे थे जहाँ ऐसे विचार और बातें प्रसिद्ध नहीं थी या स्वीकारयोग्य भी नहीं थी। अन्ततः हमने उस कलीसिया को और अपने सभी मित्रों को छोड़ दिया।
उस कलीसिया को छोड़ने का निर्णय एक कठिन निर्णय था, परन्तु यदि मैं उनकी माँगों पर रूक जाती तो मैंने अपने जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा को खो दिया होता।
यीशु ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूँ कि ऐसा कोई नहीं, जिसने मेरे और सुसमाचार के लिए घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या बाल-बच्चों या खेतों को छोड़ दिया हो, और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहिनों और माताओं और बाल-बच्चों और खेतों को, पर सताव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन। -मरकुस 10:29-30
यदि परमेश्वर आपको बाहर निकलने के लिए कहता है, तो संसार माँग करेगा कि आप ऐसा न करें। परमेश्वर के लिए निर्णय लीजिए। आप परीक्षाओं से घिरेंगे। वे चुनौती का भाग है। आप अकेलेपन के दौर से गुजरेंगे, और भी समस्याएँ होंगी, परन्तु दूसरी छोर पर आप विजयी होकर निकलेंगे। आप रात को लेटने के योग्य होंगे और आपके भीतर वह शांति होगी यह जानकर कि चाहे आप हर किसी के तरफ़ प्रसिद्ध न हों पर आप परमेश्वर को प्रसन्न कर रहे हैं।