परमेश्वर ही एकलौता स्रोत है

परमेश्वर ही एकलौता स्रोत है

यहोवा को अपने सूख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। -भजनसंहिता 37:4

मनुष्य होते हुए हम परमेश्वर के द्वारा प्रसन्न होने और स्वयं के बारे में अच्छा महसूस करने के लिए उत्पन्न किए गए है। असल में, हमें स्वयं के बारे में अच्छा महसूस करना चाहिए, या आखिरकार हम अच्छी भावना जिस की हम लालसा रखते है उसको पाने के लिए कुछ किस्म का अस्वस्थ अनियंत्रित व्यवहार विकसित कर लेंगे।

इसके बारे में सोचें। एक व्यक्ति जो नशे का आदी है उसने संभावी इसलिए लेना आरम्भ किया क्योंकि उसका दर्द इतना त्रीव था कि उसे लगा कि वह इससे छुटकारा पा सकता है, चाहे वह थोड़े समय के लिए क्यों ना हो। यही बात शराब पीने, या तसल्ली के लिए भोजन लेने के बारे सत्य है। अगर अन्दर से हमें अच्छी भावना नहीं मिलती, तब हम बाहरी ढंगो के द्वारा इसे उत्पन्न करने का प्रयास करते है।

परमेश्वर ने हमें उस ढंग में उत्पन्न किया है और केवल वहीं हमें संतुष्ट कर सकता है। जब हम स्वयं के बारे अच्छा महसूस करवाने के लिए परमेश्वर के विरुद्ध बाहर कुछ करते है, हम वास्तव में कुछ असल की जगह एक सस्ते विकल्प को रख रहे है।

चाहे आपकी भावनात्मक आवश्यकताएं आज कोई भी क्यों ना हो, यह जानें कि केवल परमेश्वर उन्हें पूरा कर सकता है। केवल वही जीवन का अनन्त स्रोत है। आज उसके पास जाएं-केवल वही है जो संतुष्ट कर सकता है।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, मैं सस्ते विकल्पों को खोजने में मेरा समय बर्बाद नहीं करना चाहती हूँ। केवल आप ही हमें संतुष्ट कर सकते है। मुझे दिखाएं कि कैसे आप में और केवल आप में ही मेरी सच्ची खुशी और संतुष्टि को खोजना है।

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