और [उसके स्वर्गीय स्वभाव के अनुसार] पवित्रता की आत्मा के भाव से मरे हुओं में से जी उठने का कारण सामर्थ्य [एक पवित्र, विजयी और चमत्कारी ढंग] के साथ परमेश्वर का पुत्र [वह मसीहा, अभिषिक्त] ठहरा है। (रोमियों 1:4)।
आज का वचन पवित्र आत्मा को पवित्रता की आत्मा करके हवाला देता है। वह इस नाम से बुलाया जाता क्योंकि वह परमेश्वर की पवित्रता है और क्योंकि प्रत्येक जो यीशु मसीह को उद्धारकर्ता करके विश्वास करता उसमें इस पवित्रता पर कार्य करना उसका काम है।
परमेश्वर चाहता है कि हम पवित्र हो और वह हमें होने का निर्देश भी देता है (देखें 1 पतरस 1:15-16)। वह हमें पवित्र बनाए जाने के लिए जो सहायता की आवश्यकता है वो दिए बिना कभी भी वैसा होने के लिए नहीं कहेगा। एक अपवित्र आत्मा हमें कभी भी पवित्र नहीं बना सकता। इसलिए परमेश्वर हमारे दिलों में एक पूर्ण और हमारे द्वारा कार्य करने के लिए अपने आत्मा को भेजता है।
फिलिप्पियों 1:6 में, पौलुस हमें सिखाता है कि परमेश्वर, जिसने हमारे अन्दर भला कार्य किया है, वह उसे पूरा करने के योग्य है। पवित्र आत्मा हम में अपने कार्य को जारी रखेगा जब तक हम इस पृथ्वी पर जीवित रहते है। परमेश्वर पाप से नफरत करता है, और जब कभी वह हमें इसमें देखता है, वह तुरन्त इससे शुद्ध करने के लिए कार्य करता है।
अकेला यही तथ्य व्याख्या करता है कि क्यों हमारे अन्दर हमें पवित्र आत्मा की आवश्यकता है। यह इस जीवन में हमारी अगुवाई और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए ही केवल वहां नहीं है, पर कुछ भी हमारे अन्दर जो उसे अप्रसन्न करता उसको हटाने के लिए भी पिता के साथ सहयोग में एकदम कार्य करता है। वह हमारे साथ उन बातों के बारे में जो बदले जाने की आवश्यकता है ताकि हम पवित्रता में बढ़ सके और जो बदलाव हमें करने की आवश्यकता है उसके लिए शक्ति प्रदान करेगा।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः आप पवित्रता में इसलिए बढ़ रहे है क्योंकि पवित्रता का आत्मा आपके अन्दर रहता है।