मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्न नहीं होता तू ने मेरे कान खोदकर खोले हैं (आपकी व्यवस्था, अधिक मूल्यवान सेवा)। होमबलि और पापबलि तू ने नहीं चाहा। -भजन संहिता 40:6
परमेश्वर हमारी आज्ञाकारिता से प्रसन्न होता है। स्वाभाविक रूप से हम से बात करने से परमेश्वर की कोई भलाई नहीं होती है यदि हम उस पर ध्यान देने और उसका पालन करने नहीं जा रहे हैं।
बहुत वर्षों तक मैं चाहती थी कि परमेश्वर मुझ से बात करे, परन्तु मैं उस बात का चुनाव करना और लेना चाहती थी कि किसी चीज़ का पालन करे। परमेश्वर जो कहता मैं करना चाहती थी यदि मुझे लगता कि यह अच्छा विचार है। जो मैं सुनती यदि मैं उसे पसंद नहीं करती तो मैं ऐसा व्यवहार करती मानों ये परमेश्वर की ओर से न हो। परमेश्वर ने हमें उससे सुनने और उसका पालन करने की सामर्थ्य दी है। वह आज्ञाकारिता से बढ़कर उच्चत्तम बलिदान नहीं चाहता है। कुछ एक बातें जो परमेश्वर आपसे कहता है वह उत्तेजनाजनक हो सकती है। कुछ बातें जो परमेश्वर आपसे कहता है इतनी अधिक उत्तेजनाजनक नहीं हो सकती है, परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि वह जो आपसे कहता है उससे कोई भलाई नहीं होगी यदि आप उसे उसके तरीके से करें। यदि आप अपने जीवन में परमेश्वर की इच्छा को करना चाहते हैं तो मैं इसका तरीका सरल शब्दों में आपको बता सकती हूँ: प्रार्थना और पालन करो। परमेश्वर ने आपको ये दोनों करने की क्षमता दी है।