मन का युद्ध

मन का युद्ध

क्योंकि हमारा यह मल्‍लयुद्ध लहू और मांस से [केवल भौतिक विरोधियों से लड़ते हुए] नहीं परन्तु प्रधानों से, और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। —इफिसियों 6:12

इफिसियों 6 का सावधानीपूर्वक अध्ययन हमें सूचित करता है कि हम एक युद्ध में हैं, और यह कि हमारा युद्ध किसी अन्य मनुष्यों के साथ नहीं बल्कि उस दुष्ट के साथ है। हमारा शत्रु, शैतान, अच्छी तरह से तैयार की गई योजनाओं और सोचे – समझे धोखे के द्वारा हमें झूठ और छल से हराने का प्रयास करता है।

यीशु ने शैतान को “झूठा वरन् झूठ का पिता” कहा है (यूहन्ना 8:44)। वह आपसे और मुझसे झूठ बोलता है। वह हमें हमारे बारे में, दूसरे लोगों के बारे में और उन परिस्थितियों के बारे में बताता है जो सच नहीं हैं। हालांकि, वह आमतौर पर हमें एक ही बार में पूरा झूठ नहीं बताता है।

वह हमारे मन पर छोटे-छोटे सताते विचारों, संदेहों, शंकाओं, आशंकाओं, आश्चर्यों, तर्कों और सिद्धांतों के एक चतुराई से तैयार किए गए पैटर्न के साथ बमबारी करके शुरुआत करता है। वह धीरे-धीरे और सावधानी पूर्वक आगे बढ़ता है। याद रखें, उसके पास उसके युद्ध की रणनीति है।

शैतान ने एक लंबे समय से हमारा अध्ययन कर रखा है और वह जानता है कि हमें क्या पसंद है और क्या नहीं। वह हमारी असुरक्षाओं, कमजोरियों और भयों को जानता है। वह जानता है कि हमें सबसे ज्यादा क्या परेशान करता है और हमें हराने के लिए जितना भी समय क्यों न लगे तौभी वह उस में निवेश करने को तैयार है। लेकिन हम पवित्र आत्मा के सामर्थ्य के द्वारा और परमेश्वर के वचन की सच्चाई को सीखने के द्वारा शत्रु को मात दे सकते हैं!


आप मसीह के द्वारा जो आपसे प्रेम करता है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं!

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