
जिसके द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह (परमेश्वर की कृपा) तक जिसमें हम (सुरक्षित और दृढ़) बने हैं, (हमारी) पहुँच भी हुई और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। -रोमियों 5:2
वास्तव में परमेश्वर का अनुग्रह जटिल और चकरा देने वाला नहीं है। यह साधारण है और इसी लिए बहुत से लोग इससे चूक जाते हैं। अनुग्रह से अधिक सामर्थी कुछ भी नहीं हैं वास्तव में बाइबल में सब कुछ-उद्धार, पवित्र आत्मा की भरपूरी, परमेश्वर के साथ संगति, और हमारे प्रतिदिन के जीवन में सभी विजय-इस पर अधारित है। बिना अनुग्रह के हम कुछ भी नहीं हैं, और हमारे पास कुछ नहीं हैं, और हम कुछ नहीं कर सकते हैं। यदि परमेश्वर का अनुग्रह नहीं होता तो हम सब दुःखपूर्ण और आशाहीन होते। लूका 2:40 में हमें बालक की तरह कहा गया है कि यीशु “और बालक बढ़ता और बलवन्त होता और बुद्धि से परिपूर्ण होता गया (कृपादृष्टि और आत्मिक आशीष) और परमेश्वर का अनुग्रह उस पर था”। इस पद में उन सब बातों का समावेश है जो हमें प्रसन्न रहने, स्वस्थ रहने, समृद्ध रहने और हमारे मसीही चाल में सफ़ल होने की ज़रूरत है।
हम अक्सर उन चीज़ों के बारे में बात करते हैं जिनकी हमें ज़रूरत है, परन्तु वास्तविकता में हमें केवल एक ही चीज़ की आवश्यकता है और वही चीज़ है जो यीशु को भी ज़रूरत थीः हमें आत्मा में बलवन्त होने, परमेश्वर की बुद्धि से परिपूर्ण होने और अपने ऊपर उसकी अनुग्रह की ज़रूरत है। यदि मैं और आप परमेश्वर के अनुग्रह को अपने जीवन में पूर्ण शासन करने दूँ तो हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा। अनुग्रह के बिना हमारे लिए कुछ भी संभव नहीं है। जैसे पौलुस अपने समय के विश्वासियों को लिखता है, हम जो कुछ हैं, और करते हैं, और हमारे पास जो कुछ है, वह परमेश्वर के अनुग्रह से है। मैं और आप सौ प्रतिशत असहाय हैं, यद्यपि जैसा पौलुस ने कहा हम अक्सर वैसा अंगीकार करते हैं (“मैं मसीह के द्वारा सब कुछ कर सकता हूँ जो मुझे सामथ्र्य देता है”)। यह परमेश्वर के अनुग्रह में ही सत्य है। (1 कुरिन्थियों 15:10; फिलिप्पियों 4:13 देखिए)