हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूँ; परन्तु केवल यह एक काम करता हूँ कि जो बातें पीछे रह गईं हैं उनको भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हूँ। -फिलिप्पियों 3:13
क्षमा कभी सफल संबंधों के लिए मुख्य बात है। इसीलिए बहुत से लोग अपने प्रेम करने के प्रस्ताव पर बहुत सारी अपेक्षाएँ रखते हैं। “मैं तुम से प्रेम करता हूँ, परन्तु तुम ने कल सचमुच में मेरी भावनाओं को दुःख पहुँचाया है।” या “मैं तुम से प्रेम करता हूँ परन्तु मैं बहुत थका हुआ हूँ, बहुत व्यस्त हूँ, बहुत परेशान हूँ, बहुत तंग हूँ, बहुत क्रोधित हूँ, बहुत अप्रसन्न हूँ कि मैं अभी तुम से अच्छा व्यवहार नहीं कर सकता।”
सच्चा प्रेम यूही कहता है, “मैं तुम से प्रेम करता हूँ!” कोई अपेक्षा नहीं। प्रेरित पौलुस फिलिप्पियों 3:11-14 में कहता है कि आत्मिक और नैतिक पुनरूत्थान हमें मृतकों में से जीला उठाता है। यहाँ तक कि जब हम यहाँ शरीर में हैं तो हमें भूतकाल को भूल जाना जारी रखना है और उस नाम को जीतने के लिए लक्ष्य की तरफ़ बढ़ चलना है जिसके लिए यीशु हमें बुला रहा है। हमें पीछे की बातों को भूल कर आगे की ओर बढ़ता जाना है।
महिलाएँ बातों को बहुत समय तक याद रखती है और अपराधों को दिनों तक याद रखती है और कुछ तो वर्षों तक कड़वे रहते हैं। यीशु हमें एक उच्चत्तम इनाम के लिए बुलाता है जिसके लिए हमें क्षमा पाने और इसे दूसरों को देने की ज़रूरत है। प्रभु की प्रार्थना हमें क्षमा के लिए प्रार्थना करने के लिए बुलाता है जैसे हम दूसरों को क्षमा करते हैं। “और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।” (मत्ती 6:12)
मेरे देह में कुछ ऐसा नहीं है जो डेव को क्षमा करना चाहता हो जब मैं सोचती हूँ कि वे गलत हैं। परन्तु परमेश्वर चाहता है कि मैं प्रेम के द्वारा प्रतिक्रिया दूँ और अपने देह को न कहूँ और उसको हाँ कहूँ चाहे मैं इसे पसंद नहीं करती हूँ। वर्षों पूर्व जब मैंने वह करना प्रारंभ किया जो परमेश्वर ने मुझे करने के लिए कहा था मैं ईमानदारीपूर्वक उस स्थान पर आई जहाँ पर वह चाहती थी जो परमेश्वर चाहता था। मैं यह भी नहीं जानती कि यह कैसे हुआ और कब हुआ। एक अलौकिक परिवर्तन हममें आता है जब हम उसके वचन के प्रति आदर के कारण उसकी बातों को मानते हैं।