विश्वासयोग्य बनो

विश्वासयोग्य बनो

इसलिए हे पवित्र भाइयो, तुम जो स्वर्गीय बुलाहट में भागी हो, उस प्रेरित और महायाजक यीशु पर जिसे हम अंगीकार करते हैं, ध्यान करो। वह अपने नियुक्त करनेवाले के लिए विश्वासयोग्य था, जैसा मूसा भी परमेश्वर के सारे घर में था। – इब्रानियों 3:1-2

इब्रानियों 3 में हम से कहा गया है कि मूसा और यीशु दोनों विश्वासयोग्य थे। नए नियम में त्रीवेणी शब्द जिसका अनुवाद विश्वासयोग्य किया गया है। उसका तात्पर्य है “भरोसा रखने योग्य” या विश्वास योग्य या भरोसेमन्द। दूसरे शब्दों में आसरा रखने योग्य होना। क्या आप जानते हैं कि आसरा रखने योग्य होने का हमारे लिए क्या तात्पर्य है? इसका तात्पर्य है कि हमें अपने वचन पर बने रहना है। यदि हम किसी से कहते रहे कि हम कुछ करने जा रहे हैं तो हमें वह करने की ज़रूरत है। यदि हम कहते हैं कि हम किसी समय पर कहीं पर होंगे तो हमें समय पर होने की ज़रूरत है। यह अद्भुत है कि कैसे कुछ लोग यूहीं भरोसेमन्द नहीं होते हैं। वे उन लोगों में नहीं गिने जा सकते हैं जो अपनी बात पर अमल करते हैं या वे वहाँ पर पाए जाएँगे जहाँ पर वे कहते हैं कि वहाँ पर होंगे। पुनः इसमें कोई बात नहीं कि एक व्यक्ति को कितना वरदान प्राप्त है, यदि वह विश्वासयोग्य नहीं है तो परमेश्वर उसे इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

और हमें अवश्य यह समझना चाहिए कि परमेश्वर हमारी विश्वासयोग्यता को परखता है। यह कहना काफ़ी नहीं है, “हाँ, मैं विश्वासयोग्य हूँ।” क्योंकि परमेश्वर कहेगा, “ठीक है, देखते हैं।” क्या आप जानते हैं कि किस प्रकार परमेश्वर हमारी विश्वासयोग्यता को परखता है? वह हमें कुछ समय के लिए कुछ करने को देता है जो हम करना नहीं चाहते। कुछ ऐसा जो रोचक नहीं है। कुछ ऐसा जिसमें हमें किसी और के अधिकार के अधीन होना पड़े। और वह हमें हमारे हृदय में कहेगा, “विश्वासयोग्य हो।” विश्वासयोग्यता यह नहीं है कि दिन प्रतिदिन हम दिखाते रहें, यह दिन प्रतिदिन एक अच्छे स्वभाव को दिखाना है। परमेश्वर इस प्रकार की विश्वासयोग्यता का प्रतिफल देगा। लूका 16:12 हमसे कहता है कि यदि जो कुछ दूसरों का है हम उसके प्रति विश्वासयोग्य होंगे तो परमेश्वर हमें वह देगा जो अपना है।

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