हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। (याकूब 1:2-3)
कई मसीही लोगों की एक गलती यह है कि जब परीक्षाएं आती हैं, तो वे प्रार्थना करते हैं कि उनकी मुसीबतें रुक जाए। मेरा मानना है कि इसके बजाय, हमें शक्ति और धीरज के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है; हमें परमेश्वर को हमें दृढ़ बनाने के लिए कहने की आवश्यकता है। यदि दुश्मन अपनी सबसे अच्छी बंदूकों में से हम पर निशाना लगाता है – वह सब कुछ करता जो वह हमारे जीवन को परेशान करने के लिए कर सकता है, हमारे व्यवसायों को बर्बाद करने के लिए, हमारे परिवारों को अलग करने के लिए, या अन्यथा हमारी शांति को चुराने के लिए – और हम स्थिर और शांत रहें, तो वह अत्यधिक झुंझला जाएगा, और अंततः पराजित हो जाएगा, क्योंकि हम उसके साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।
फिलिप्पियों 1:28 कहती हैः “और किसी बात में विरोधियों से भय नहीं खाते यह उनके लिये विनाश का स्पष्ट चिन्ह है, परन्तु तुम्हारे लिये उद्धार का, और यह परमेश्वर की ओर से है।” यह वचन हमें इस बात के लिए प्रोत्साहित करता है कि जब शैतान हमारे खिलाफ आएगा तो हमें न तो भयभीत और न ही आतंकित होना चाहिए, इसके बजाय यह हमें स्थिर रहने के लिए कहता है। जब हम ऐसा करते हैं, तो न केवल हम दिखाते हैं कि शैतान हमारे साथ नहीं लड़ सकता, हम प्रभु को भी प्रदर्शित करते हैं कि हमें उस पर विश्वास है। यह तथ्य कि हमारे कार्य उसके प्रति हमारे विश्वास की पुष्टि करते हैं, यह हमारी स्थितियों में उसकी शक्ति को जारी करने और हमें बचाने के लिए परमेश्वर का संकेत है। मेरा मानना है कि परमेश्वर चाहता है कि आप उसको सुनें जब वह आपको दृढ़ रहने और नहीं डरने के लिए कहते हैं।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर पर आपका विश्वास इतना दृढ़ हो कि वह दुश्मन हताश हो जाएं।