
यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, -भजन संहिता 107:2
इब्रानियों 4:12 हमें सिखाता है कि परमेश्वर का वचन एक तेज़ दोधारी तलवार है। मैं विश्वास करती हूँ कि वचन का एक धार शैतान को पराजित करता है, और दूसरी धार स्वर्ग की आशीषों के द्वार को खोलती है। इफिसियों 6:17 में हम से कहा गया है कि आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है वह हमारे हथियारों में से एक है जिसे हमें आत्मिक युद्ध को परिणामकारी रूप से करने के लिए पहिनना चाहिए। भजनकार दाऊद अक्सर कहते थे, “मैं यहोवा के विषय कहूँगा, वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूँगा!” (भजन संहिता 91:2)
शायद हमें लगातार स्वयं से पूछना चाहिए, “मैं प्रभु के विषय में क्या कह रहा हूँ?” हमें सही बातें कहने की ज़रूरत है, केवल सोचने की नहीं। एक व्यक्ति सोच सकता है “मैं प्रभु के विषय में वो सारी भली बातों को विश्वास करता हूँ,” परन्तु क्या आप उन सब बातों को कह रहे हैं, जो आपकी सहायता कर रहा है? अक्सर लोग किसी बात पर विश्वास करने का दावा करते हैं, फिर भी उनके मुँह से विपरित बातें आती हैं। हमें ज़ोर से बोलने की ज़रूरत है। हमें उसे सही समय पर और सही स्थान पर कहने की ज़रूरत है; परन्तु हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हम वह करते हैं। हमारा मौखिक अंगीकार परमेश्वर के साथ हमारे समय को खर्च करने और परमेश्वर से मित्रता करने का भाग बनाना चाहिए।
मैं अक्सर सुबह कुछ कदम चलती हूँ, मैं प्रार्थना करती, मैं गीत गाती, और मैं परमेश्वर के वचन को ज़ोर से बोलती हूँ। प्रत्येक बार मैं कुछ ऐसा गाती हूँ, “परमेश्वर मेरी तरफ़ है, मैं वह सब कुछ कर सकती हूँ जो वह मुझे करने के लिए कहता है।” या “परमेश्वर भला है और मेरे जीवन के लिए उसकी एक योजना है। आशीषें मेरा पीछा करती और मेरे जीवन में उमण्डती हैं।” यह मेरे लिए शैतान को तीखे तलवार से घात करने के बराबर है। अपने धन्यवाद को, और अपनी स्तुति को, और अपनी आराधनाओं को मौखिक बनाइए या शब्द दीजिए। गीतों को ज़ोर से गाइए जिसमें स्तुति और आराधना भरी हुई हो। शत्रु के विरोध में कुछ उत्साही कार्य कीजिए!