शांत मन

शांत मन

जिसका मन तुझमें धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है। – यशायाह 26:3

रात के समय हमे कौन सी बात शैतान के आक्रमण के प्रति अधिक असुरक्षित बनाती है? क्या यह इसिलिए है क्योंकि दिन का प्रकाश चला गया है और अंधकार छा गया है? क्या रात के अंधेरे और शैतान के मध्य कोई संबंध है? दिन के उजाले में हमारे साथ कुछ भी हो हम उसके साथ सामंजस्य बिठा लेते हैं, परंतु रात के समय की कहानी कुछ और होती है।

मेरा सिद्धांत यह है कि शाम के समय तक हम में से अधिकतर लोग थके होते हैं, और हम बिस्तर पर पड़कर आँखें बंद कर सुखदायक नींद में खो जाना चाहते हैं। हमें मन के युद्ध में लिप्त करने का, शैतान का यह एक पसंदीदा समय है। वह जानता है कि इस समय हम थकेहुए और उनींदे हैं और हम उसके आक्रमण का उतना प्रतिरोध नहीं कर पाएँगें। जैसे ही हम नींद के आगोश में जानेवाले होते हैं तो वह अपना चाल प्रारंभ करता है।

यदि हम इस बात को पहचानेंगें कि, रात के समय शत्रु के आक्रमण के लिए हम अधिक संवेदनशील हैं, तो हम उसके विरूद्ध अधिक तैयारी के लिए कदम उठाएँगें। मेरे कुछ मित्र कहते हैं कि उन्होने पाया कि फिलिप्पियों 4:8, परमेश्वर के वचन पर मनन करना, सहायता करता है, जो हमें भली बातों पर विचार करने को कहता है – बातें जो सच्ची, आदरणीय, न्यायपूर्ण, शुद्ध, प्रेममय और उत्तम है। या वे यशायाह 26:3 की प्रतिज्ञा का दावा करते हैं, ‘‘जिसका मन तुझमें धीरज धरे हुए है उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा करता है।’’ बाईबल के शब्द रात के अंधेरे पहर में भी सतर्क रहने के योग्य बनाता है। परमेश्वर के वचन का उपयोग करने के द्वारा अपने कमजोरी के समय में भी हम शत्रु के प्रत्येक आक्रमण पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

परन्तु यदि हमने स्वयं को वचन से सज्जित नहीं किया और प्रार्थना में कुछ समय व्यतीत नहीं किया, तो जब शैतान दिन की किसी घटना को हमारे मन में लाकर हमसे पूछेगा, तुमने ऐसा क्यों कहा? तुम तने असंवेदनशील क्यों हो गए थे? तो हम उसकी योजना में गिर जाएँगें।

जब वह यह जान लेता है कि हम कमजोर हैं और उसके प्रभाव के लिए भेद्य है तो वह इसका फायदा उठाता है। उसका लक्ष्य हमारे विचारों को विचलित करना और हमारे शरीरों का आवश्यक आराम को चुरा लेना है। उसकी एक चाल यह भी है कि हम दिन की समस्याओं पर विचार करें और वह हमें सलाह देता है कि आधी रात को ही हमें समस्या का समाधान पा लेना है।

मैंने वर्षों पूर्व ऐसी रातों का अनुभव किया था और मैं अक्सर युद्ध को जीत नहीं पाती थी। परन्तु एक परिपक्व मसीही होने के नाते अब मैं जनती हूँ कि कैसे विश्वास की अच्छी लड़ाई लड़नी है। यहां एक बात को मैं दुहराती हूँ: मध्य रात में उठकर समस्याओं का निदान करना बुद्धिमानी की बात नहीं है। ऐसे महत्वपूर्ण समय भी हमारे जीवन में आते हैं जब परमेश्वर हमसे तुरन्त समर्पण की माँग करे वह सामर्थीय क्षण होते हैं। परन्तु अधिकांश निर्णयों के लिए सुबह तक इंतजार किया जा सकता है।

शायद हमने किसी से कठोरता पूर्वक व्यवहार किया हो और किसी की आवश्यकता के प्रति संवेदनशीलता न दिखाई हो। ये ऐसे मुद्दे होते हैं जिनसे और अच्छी रीति से निपटा जा सकता है। परंतु जब शैतान अपना युद्ध रात के अंधेरे में प्रारंभ करता है, तो वे छोटी बातें आवश्यक और अनिवार्य लगने लगती, हैं कि हम सोचते हैं कि बिना असका निदान किए हम सो नही सकते हैं।

जब शैतान मुझ पर रीत का यह चाल चलता है, मैंने यह करना सीख लिया हैं कि मैं सुबह इस पर विचार करूँगी जब सूर्य चमक रहा होगा। मैंने विश्राम पा लिया है, अब मैं इसके साथ सामंजस्य रख सकती हूँ। मैने यह कहना भी सीख लिया है, प्रभु मैं इसे तुझे समर्पित करती हूँ। मुझे अपना विश्राम, अपनी शांति, दीजिए और मेरी सहायता कीजिए कि सुबह मैं सही निर्णय ले सकूँ। यह मेरे लिए कार्य करता है।

____________

पवित्र आत्मा, मेरे साथ रहने, मेरी रक्षा करने, और मेरे जीवन के अगुवाई करने के लिए धन्यवाद। जब मैं उन अंधेरी रातों का सामना करती हूँ और शत्रु मुझ पर आक्रमण करने का प्रयास करता है, तो मेरी रक्षा कर। मैं तुझ पर भरोसा करती और अपनी सिद्ध शांति में मुझे रखने की प्रार्थना करती हूँ। आमीन्।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon