जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है वरन् झूठ का पिता है। -यूहन्ना 8:44
शैतान हमसे झूठ बोलता है, और यदि हम उसके विरूद्ध उत्साही नहीं होंगे और उसके झूठ को सुनने से नहीं रूकेंगे तो वह हमारे जीवन में प्रवेश कर जाएगा। वह एक दहाड़नेवाले सिंह के समान जाता है (1 पतरस 5:8 देखिए)। परन्तु हमारे पास का सिंह यीशु हमारे भीतर है। हम हैं जिन्हें दहाड़ने का कार्य करना चाहिए।
हमें अपने आपको आत्मिक रूप से इस प्रकार बनाए रखना है कि जब शैतान एक चाल हमारे ऊपर चलता है तो हम उसे एक चीज़ को ठीक रीति से पकड़ लेते हैं जो वह करने का प्रयास करता है और तुरन्त वापस हमला करते हैं। इसमे कुछ ही क्षण लगता है।
शैतान हमेशा हमारे बीच में आने की कोशीश करता है, जैसे ही हम पीछे हटते है, वह हमारी ओर बढ़ता जाता है। यदि हम एक कदम आगे बढ़ाते है यीशु के नाम से अधिकार लेकर जो यीशु ने हमें दिया है तो शैतान पीछे हट जाता है।
हमें लगातार उसके विरोध में अपने अधिकार में खड़े होने की ज़रूरत है, यदि हम रूक जाते हैं तो वह हमारे विरोध में चलना प्रारम्भ करेगा और पीछे से हम पर वार करेगा। शैतान झूठा है चुगल करनेवाला और धोखा देनेवाला है। वह एक शेर के समान आता है परन्तु वह शेर नहीं है। “हे बालको, तुम परमेश्वर के हो, और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है वह उस से जो संसार में है, बड़ा है।” (1 यूहन्ना 4:4)
वचन को अच्छी रीति से जानिए कि जिस क्षण आपके हृदय में कोई ऐसा विचार आता है जो वचन के साथ मेल नहीं खाता है। आप शैतान से कह सकते हैं, “झूठा! मैं तुम्हें नहीं सुन रहा हूँ।” आप अपने जीवन को शैतान से छिपाते हुए जी सकते हैं या उसे वापस भागने के लिए दबाव डालते हुए व्यतीत कर सकते हैं।