सत्य का सामना करने से न भागे

सत्य का सामना करने से न भागे

आदम ने कहा, “जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैंने खाया।” “तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “तू ने यह क्या किया है?” स्त्री ने कहा, ‘‘सर्प ने मुझे बहका दिया, तब मैंने खाया।” – उत्पत्ति 3:12-13

अदन के बगीचे में जब उनका अपने पाप से संबंध हुआ आदम और हव्वा ने एक दूसरे पर, परमेश्वर पर, और शैतान पर दोष लगाया। मैंने इस प्रकार के दृश्य को असंख्य बार अपने स्वयं के घर में मेरे और डेव के बीच में अवलोकन किया है। ऐसा लगता है कि हम लगातार जीवन को असली मुद्दों को टालते रहें हैं और वास्तविकता का सामना कभी नहीं करना चाहते हैं। मैं जीवन्त रूप से डेव के बदलने के लिए प्रार्थना करना स्मरण करती हूँ। मैं अपनी बाइबल को पढ़ती रही हूँ और अधिक से अधिक उनकी गलतियों को देखती रही हूँ और उन्हें कितना अधिक बदलने की ज़रूरत थी। जब मैंने प्रार्थना की प्रभु ने मुझ से बात किया और कहा, “जॉयस, डेव समस्या नहीं है, तुम हो।”

मेरे घमण्ड को उबाल के लिए यह बहुत बड़ा आघात था। परन्तु प्रभु में यह मेरे लिए मेलमिलाप और पुनरूस्थापन भी था। बहुत से लोगों के समान मैंने हर बात के लिए किसी और पर दोष लगाया या कुछ परिस्थितियों पर जो मेरे नियन्त्रण से बाहर थी। मैंने सोचा कि मैं बुरा व्यवहार कर रही हूँ क्योंकि मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ, परन्तु परमेश्वर ने मुझ से कहा, “दुर्व्यवहार तुम्हारे इस प्रकार के व्यवहार का कारण हो सकता है, परन्तु इसी में बने रहने के लिए इसे एक बहाना मत बनने दो।” मैं नहीं सोचती कि अपने और अपने व्यवहार के विषय में सत्य का सामना करने से अधिक कुछ भावनात्मक रूप से दर्दनाक है। चूँकि यह दर्दनाक है।

अधिकतर लोग इससे भागते है। किसी और के विषय में सत्य का सामना करना अधिक आसान है, परन्तु जब स्वयं के विषय में सामना करने की बात आती है तो हम इसके साथ व्यवहार करने में अधिक कठिनाई महसूस करते हैं।

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