
…जो मन में भरा है, वही मुँह पर आता है। मत्ती 12:34
जो व्यक्ति परमेश्वर के निकट रहता है, वह अन्य लोगों के साथ-साथ अपने बारे में और अपनी परिस्थितियों के बारे में भी सकारात्मक, प्रोत्साहनात्मक, उन्नत विचारों को सोचता है।
आप दूसरों को आपके शब्दों से तभी प्रोत्साहित करते हैं जब आप उस व्यक्ति के बारे में पहले दयालु विचार रखते हैं। याद रखें कि जो मन में भरा है, वही मुँह पर आता है (मत्ती 12:34)। विचार और शब्द रचनात्मक या विनाशकारी सामर्थ्य को वहन करनेवाले कंटेनर या हथियार हैं (नीतिवचन 18:21)। इसलिए उद्देश्य के प्रति कुछ “प्रेम से सोचना” बहुत महत्वपूर्ण है।
मैं आपको अन्य लोगों को प्रेम के विचार देने के लिए प्रोत्साहित करती हूं। प्रोत्साहन के शब्द कहें। अन्य लोगों के साथ हो जाएं और उनके आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ने का उनसे आग्रह करें। ऐसे शब्द कहें जो अन्य लोगों को बेहतर महसूस कराएं और जो उन्हें प्रोत्साहित और मजबूत करें।
सभी के पास पहले से ही पर्याप्त समस्याएं है। हमें उन्हें निराश कर उनकी परेशानियों को और बढ़ाने की जरूरत नहीं है। हम प्रेम के द्वारा एक दूसरे उन्नति कर सकते हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:11)। प्रेम हमेशा प्रत्येक के सर्वोत्तम पर विश्वास रखता है – (1 कुरिन्थियों 13:7)।
हम परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता में जी रहे हैं जब हमारे विचार, कार्य और व्यवहार उस वचन के अनुसार मेल खाते हैं।