पर तू ऐसी बातें कहा करे जो खरे उपदेश (संपूर्ण) के योग्य है (चरित्र और धर्मी जीवन जो मसीही की पहचान देती है)। -तीतुस 2:1
मैं वर्षों तक कलीसिया में गई और कभी भी मैंने एक ऐसा संदेश नहीं सुना जो मेरे जीवन में मेरे शब्दों के सामर्थ्य के विषय में था। मैंने अपने विचारों के विषय में कुछ सुना होगा परन्तु यदि ऐसा हुआ तो यह मेरे जीवन में प्रभाव डालने के लिए नहीं था क्योंकि यह मेरे विचारों को नहीं बदलता था। मैंने अनुग्रह और उद्धार और अन्य बहुत सी अच्छी बातों के विषय में सुना था। परन्तु धार्मिकता, शांति और उस आनंद में जीने के लिए जो परमेश्वर सभी विश्वासियों को देता है वह सब कुछ नहीं था जो मुझे जानने की ज़रूरत थी (रोमियों 14:17 देखिए)। बहुत से अद्भुत कलीसियाएँ हैं जो परमेश्वर के वचन को अपनी सम्पूर्णता में सिखाती हैं। और मैं आपको उत्साहित करती हूँ कि आप सुनिश्चित करें कि आप किसी भी कलीसिया में जाने का चुनाव करें। वह ऐसा स्थान हो जहाँ पर आप आत्मिक रीति से सीखते और बढ़ते हैं। हमें एक कार्यक्रम के लिए चर्च में जान नहीं चाहिए जो हम सोचते हैं कि हमें परमेश्वर के प्रति करना ही है। हमें मसीह में अन्य विश्वासियों के साथ संगति करने, परमेश्वर की आराधना करने और उस प्रकार जीवन जीने और वह सीखने के लिए जाना है कि हम वह जीवन कैसे जिए जिसे हमें देने और जिसका हम आनंद उठाने के लिए यीशु मरा इसलिए कलीसिया जाना चाहिए।