जीभ भी एक आग है; जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। – याकूब 3:6
नकारात्मक वाक्य नकारात्मक विचारों के साथ आरम्भ होते है। उदाहरण के लिए, मान लो कि एक कर्मचारी एक अफवाह सुनता कि जिस कंपनी में वो काम करता वो कंपनी कुछ कर्मचारियों को निकालने जा रही है, इसलिए वो सोचता है, हर बार जब बातें अच्छा होना आरम्भ होती, सदा कुछ बुरा होता है। तब वो कहता है, “मैं संभावी तौर पर अपनी नौकरी गँवा लूँगा।”
मेरे विचार बहुत नकारात्मक हुआ करते थे, जिसने मेरे शब्दों को नकारात्मक होने का कारण दिया था…जिसने मेरे जीवन में सब बुरा प्रदर्शित किया था। अंततः मैंने मेरे मार्गो को बदलने का और बेहद नकारात्मक सोचना बंद करने का निर्णय किया। कुछ समय के बाद, मैंने पहचाना कि मुझे केवल नकारत्मक बात ना करने से बढ़कर कुछ करने की आवश्यकता थी। केवल नकारात्मक बातचीत बंद करना ही काफी नहीं था – मुझे सकारात्मक सोचना आरम्भ करना है।
हमारे विचार – सकारात्मक और नकारात्मक हमें वो शब्द बोलने का कारण देते जो हमारे भविष्य को आकार देंगे। जब हम गलत बातें बोलते है, यह हमारे जीवन में एक आग के समान हो सकती है (देखें याकूब 3:6)।
पर हम सही बोलने के द्वारा आग को इसके आरम्भ होने से पहले ही बंद कर सकते है, और हम केवल तब सही बोल सकते जब हम सही सोचते है। मैं आपको पवित्र आत्मा और परमेश्वर के वचन के साथ भरने के लिए विनती करती हूँ। उसे आपके विचारों को प्रभावित करने और सकारात्मक शब्दों की एक जीवनशैली में अगुवाई करने की अनुमति दें।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आपके वचन पर आधारित जीवन देने वाले सकारात्मक शब्दों को बोलना चाहती हूँ। मैं मेरे विचारों के जीवन में आपको निमंत्रण देना और एक नया मन, मसीह का मन पाना चाहती हूँ, ताकि मैं मेरे मुँह के शब्दों से आपको प्रसन्न कर सकूँ।