और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आँखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं। – इब्रानियों 4:13
किसी ने एक बार मुझसे पूछा कि मैं कैसे मेरे अत्याचारी अतीत से आजाद करती हूँ। मेरा उत्तर काफी आसान हैः परमेश्वर ने मुझे स्वयं सत्य का सामना करने के लिए अनुग्रह और इच्छुक्ता दी है।
मैं एक क्रोधी, अस्थिर वातावरण में पली-बढ़ी थी। मेरे श्रीध क्रोधी स्वभाव के कारण, मैं ज्यादातर समय निराश रहती थी। परेशान रहने के कारण, मैं निराश तनावग्रस्त और निरूत्साहित बढ़ी हुई थी। मैंने कामना की काश मेरा जीवन उत्तम होता, पर मेरी चाह ने किसी भी बात का हल नहीं किया। इसने मेरे समय को बर्बाद किया क्योंकि मैंने मेरी परिवारिक पृष्ठभूमि के लिए मेरी समस्याओं को दोष देना जारी रखा।
अंत, परमेश्वर ने मुझे यह पहचानने में सहायता की कि जो मेरे साथ हुआ मैं उसके लिए जिम्मेदार नहीं थी और मैं अपने अतीत को नहीं बदल सकती, मैंने कामना करनी बंद की और जिस ढंग से मैंने जीवन व्यतीत किया उसके लिए जिम्मेदारी लेना आरम्भ कर दिया। मैंने दूसरे लोगों और मेरी परिस्थितियों को दोष देना, और स्वयं के लिए बहाने बनाना बंद कर दिया। जब मैंने ऐसा किया, और मेरे जीवन को चंगा करने और बहाल करने के लिए परमेश्वर में भरोसा रखा, मैं बदल गई। अब मेरे पास शांति है और मेरे जीवन का आनन्द लिया।
आप एक ऐसी ही स्थिति में हो सकते है। स्वयं के बारे सच्चाई का सामना करना खौफनाक होता है, पर आपको इसे अकेला नहीं करना है। आपकी सभी कमियां परमेश्वर जानता है, और अगर आप उससे उसका नजरियां पूछेंगे, तो वह आपको स्वयं को उठाने, जिम्मेदारी लेने और एक शांतिमय जीवन व्यतीत करने में सहायता करेगा। आज, स्वयं सच्चाई का सामना करने से न डरें, पर परमेश्वर को आपकी एक नए कल में अगुवाई करने में अनुमति दें।
आरंभक प्रार्थना