स्वार्थता को युद्ध जीतने मत दीजिए

स्वार्थता को युद्ध जीतने मत दीजिए

फिर घुटने टेककर ऊँचे शब्द से पुकारा, ‘‘हे प्रभू यह पाप उन पर मत लगा,” और यह कहकर वह सो गया। -प्रेरितों 7:60

जान बूझकर अपने स्वयं के विषय में और अपनी समस्याओं को भूल जाना और किसी के लिए कुछ करना जब हम खुद चोट खा रहे हों, तो यह एक ऐसी शक्तिशाली बात है जो हम दुष्टता पर विजय पाने के लिए कर सकते हैं। जब यीशु क्रूस पर यातना भोग रहा था तो उसने अपने बगल के डाकू को सात्वना देने के लिए समय निकाला (लूका 23:39-43)। जब स्तिफनुस का पथराव किया जा रहा था तब उसने उन लोगों के लिए प्रार्थना किया जो उस पर पथराव कर रहे थे और परमेश्वर से उनके पापों को दण्ड उन्हें नहीं देने के लिए प्रार्थना किया (प्रेरितों के 7:59-60 देखिए)।

जब पौलुस और सिलास कैद खाने में थे तो उन्होंने अपने चेला को वचन सुनाने के लिए समय निकाला। यहाँ तक कि बाद में परमेश्वर एक सामर्थी भूकम्प के साथ वहाँ आया जिसने उनकी जं़ज़ीरों को खोल दिया और बाहर आने के लिए द्वार खोल दिया। जहाँ पर वे उन लोगों की सेवा के लिए लक्ष्यपूर्वक या जान बूझकर रूके रहे। ये कितनी परीक्षा में डालनेवाली बात है कि वे वहाँ से भाग जाएँ जबकि उनके पास अवसर था। स्वयं की चिंता करने की परीक्षा कितनी अधिक हो सकती है और किसी और की परवाह नहीं किया। प्रेम का उनका कार्य उस व्यक्ति को विचलित किया और उसने पूछा कि वह कैसे बच सकता है और वह और उसका संपूर्ण परिवार नया जन्म प्राप्त किया (यीशु को अपने हृदय में आने के लिए कहा) (पे्ररितों 16:25-34 देखिए)

मैं विश्वास करती हूँ कि यदि हम यीशु मसीह की कलीसिया इस पृथ्वी पर उसका शरीर स्वार्थता के प्रति लड़ाई लड़ सकता है और प्रेम में चल सकता है तो संसार ध्यान देना प्रारंभ करेगा। उनके द्वारा बनने से हम संसार को प्रभावित नहीं कर सकते हैं; परन्तु कितने अधिक न बचाए मित्र और संबंधी यीशु को जानने लगेंगे यदि हम उचित रूप से लोगों को अनदेखा करने का न्याय या उनको त्यागने के बजाए उनसे उचित रूप से प्रेम करें। मैं विश्वास करती हूँ कि यह ढूँढ़ने का समय है। क्या आपको नहीं लगता?

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