परन्तु परमेश्वर ने (जानबूझकर) जगत के मूर्खों को चुन लिया है कि ज्ञानवानों को लज्जित करे, और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे; और परमेश्वर ने (जानबूझकर) जगत के नीचों और तुच्छों को, वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के सामने घमण्ड न करने पाए। -1 कुरिन्थियों 1:27-29
एक बार जब मैं स्मिथ विगल्सवर्थ और उनके महान विश्वास के विषय में पढ़ रही थी, मैं उन सभी अद्भुत बातों से प्रभावित हुई जो उन्होंने की थी। जैसे बीमारों की चंगाई, मृत्यु से जिला उठाना, मैंने सोचा “प्रभु मैं जानती हूँ कि मैं बुलाई गई हूँ, परन्तु मैं कभी भी ऐसी बातें नहीं कर सकी हूँ।” तुरन्त ही प्रभु ने मुझ से बात की और कहा, “क्यों नहीं? क्या तुम अन्य किसी के समान ही समस्याग्रस्त नहीं हो?” तुम देखो, हमने इसे पीछे धकेल दिया है। हम सोचते हैं कि परमेश्वर ऐसे लोगों की खोज में है, “जिन्होंने ये सब पा लिया है।” परन्तु यह सत्य नहीं है। बाइबल कहती है कि परमेश्वर जगत के कमज़ोरों और संसार के मूर्खों को चुन लेता कि बुद्धिमान उलझन में पड़ जाए। वह ऐसे लोगों को ढूँढ़ता है जो स्वयं को नम्र करें, और उसकी इच्छा और तरीके के अनुसार उनके द्वारा काम करने दें।