उसकी ओर दौड़ें, दूसरों की ओर नहीं

उसकी ओर दौड़ें, दूसरों की ओर नहीं

हे व्यभिचारिणियो, क्या तुम नहीं जानती कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर  से बैर करना है? अतः जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है,  वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है। -याकूब 4:4

मेरे रसोई घर में बरतन धोने के स्थान के ऊपर कुछ खिड़कियाँ है जहाँ तक पहुँचना मेरे लिए कठिन है। अब जब मैं उन खिड़कियों को खोलने या बंद करने जाती हूँ मैं काउन्टर के ऊपर कूद कर उसे बंद करने का प्रयास कर सकती हूँ या संघर्ष और तनाव से अपने आपको मैं यूहीं बचा सकती हूँ और अपने पति डेव को बुला सकती हूँ और उनसे कह सकती हूँ, कि आओ मेरे लिए ये खिड़कियाँ खोलो और बंद करो। डेव मुझ से काफ़ी लम्बे हैं, इसलिए उनके लम्बे हाथों के साथ यह करना उनके लिए कठिन नहीं है जो सचमुच में मेरे लिए तनाव देनेवाली चुनौती है।

इसी प्रकार हम परमेश्वर प्रभु के साथ होते हैं। हम संघर्ष करते और तनाव लेते हैं। कुछ करने का प्रयास करते हुए कि प्रभु हमारे लिए बिना प्रयास के कर सकता है हम अपने आपको थकित कर डालते हैं-यदि हम केवल उससे माँगे। परन्तु क्या आप जानते हैं कि मेरे पति को मेरी सहायता करने न देने से अधिक कौन सी बात अपमानित करेगी। अगले पड़ोसी के घर की ओर दौड़ना और उससे कहना कि वह आकर मेरे लिए खिड़कियों को खोले या बंद करे। ऐसी बात है कि जब याकूब इस पद में कह रहा है कि जब “अविश्वासयोग्य पत्नियों” के विरूद्ध के रूप में हमें चित्रित करता है जो अपने पतियों के बजाए दूसरे पुरूषों की ओर सहायता के लिए ताकते। यहाँ पर पति प्रभु का स्वरूप है।

मैं अपने जीवन और सेवकाई में निराश थी जब तक मैंने सब कुछ स्वयं करना या अपनी समस्याओं को लेकर परमेश्वर की तरफ़ दौड़ने के बजाए दूसरों की तरफ़ दौड़ना बंद करना नहीं सीखा।

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