जीवन की परीक्षाओं से निकलना

जीवन की परीक्षाओं से निकलना

भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाए, परन्तु धर्म को तू स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है। -भजनसंहिता 7:9

जीवन उन चुनौतियों से भरा हुआ है जो परमेश्वर में हमारे दृढ़ निश्चय और विश्वास को परखते है। चाहे कि हम आने वाले बुरे के खतरे या प्रतिदिन की रूकावटों का सामना करें, हमारे चरित्र की गुणवता एक नियमित आधार पर परखी जाती है।

इस तथ्य को नजरअंदाज करना एक बहुत बड़ी गलती होगी कि परमेश्वर हमारे हृदयों, हमारी भावनाओं और हमारे मनों को परखता है। किसी को परखने का क्या अर्थ है? इसका अर्थ यह है कि इस पर यह देखने के लिए दबाब डालना कि क्या जो यह कहता कि वह करेगा वह करता है या नहीं। क्या यह तनाव को सह पाएगा? क्या यह उस स्तर तक प्रदर्शन कर सकता है जहां तक इसका बनाने वाला कहता कि यह कर सकता है? जब एक गुणवता के असल मापदंड विरूद्ध परखा जाता तो यह असली है या नहीं?

परमेश्वर हमारे साथ भी ऐसा ही करता है।

क्या आप आज परखे जा रहे है? कुंजी परमेश्वर पर भरोसा करना है, तब भी जब आप समझते नहीं। सचमुच परमेश्वर पर भरोसा करने का अर्थ यह कि कभी-कभी यहां पर प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता, पर जब आप अपनी शंका के बावजूद आगे बढ़ते, तो वह आपको निर्माण करेगा और आपको शक्तिशाली बनाएगा।


आरंभक प्रार्थना

प्रभु, जब परखी जाऊँ, तो दबाव का सहन करते, चाहे कुछ भी हो आपके पीछे चलने के लिए तैयार रहना चाहती हूँ। मुझे प्रतिदिन दिखाएं कि कैसे मुझे आप पर भरोसा रखना है, तब भी जब मैं प्रश्नों का उत्तर पाने में संघर्ष करती हूँ।

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