मैं हार नहीं मानूंगी

मैं हार नहीं मानूंगी

जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूं। [जो मुझे सामर्थ्य देता है उसके द्वारा मैं किसी भी चीज के लिए और किसी भी चीज के बराबर वाली बात के लिए तैयार हूं; मैं मसीह की पर्याप्तता में स्व-पर्याप्‍त हूं]। —फिलिप्पियों 4:13

अक्सर, कोई मेरे पास सलाह और प्रार्थना के लिए आता है, और जब मैं उन्हें बताती हूं कि परमेश्वर का वचन क्या कहता है, या जो मुझे लगता है कि पवित्र आत्मा कह रहा है, तब उनकी प्रतिक्रिया होती है, “मैं जानता हूं कि यह सही है; परमेश्वर मुझे वही दिखा रहा है। लेकिन, जॉयस, यह बहुत कठिन है।” यह सबसे आम तौर पर व्यक्त किए जाने वाले बहाने में से एक है जो मैं लोगों से सुनती हूं।

जब मैंने शुरू में परमेश्वर के वचन से पढ़ना शुरू किया कि मैं यीशु की तरह कैसे बन सकती हूं, और फिर जब इसकी तुलना मैं जहां थी उससे की, तब मैंने भी यह कहा था कि, “हे परमेश्वर, मैं आपके तरीके से चीजों को पूर्ण करना चाहती हूं, लेकिन यह बहुत कठिन है।” परमेश्वर ने अनुग्रहपूर्ण तरीके से मुझे दिखाया कि यह एक झूठ है जो शत्रु हमारे मनों में डालने की कोशिश करता है ताकि हम हार मान लें। परन्तु परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना हमारे लिए कभी भी कठिन नहीं होगा यदि हम उन्हें मसीह की सामर्थ्य के द्वारा पूरा करते हैं।

परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलना इतना कठिन नहीं है क्योंकि उसने हमें उसकी आत्मा दी है ताकि वह हमारे अंदर सामर्थ्यशाली रूप से कार्य करें और जो कुछ उसने हम से पूरा करने के लिए कहा है उसमें वह हमारी सहायता करें (यूहन्ना 14:16)। वह हर समय हमारे अंदर और हमारे साथ है ताकि जिन चीजों को हम पूरा नहीं कर सकते उन्हें पूरा करने में वह हमें सक्षम बनाए, और हम आसानी से उन चीजों को पूरा कर सकें जो उसके बिना पूरी करना कठिन है!


चीजें कठिन बन जाती हैं जब हम परमेश्वर के अनुग्रह का सहारा लिए बिना और उस पर भरोसा किए बिना चीजों को स्वतंत्र रूप से करने का प्रयास करते हैं।

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