परन्तु जब वह अर्थात् सत्य की आत्मा (सत्य देने वाला आत्मा) आएगी, तो तुम्हें सब सत्य (संपूर्ण सत्य) का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से (अपने स्वयं के अधिकार से) न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा (पिता से, वह वही संदेश देगा जो उसे दिया गया है) वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। -यूहन्ना 16:13
अपनी संतानों के लिए परमेश्वर की महान इच्छा यह है कि वे अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ का अनुभव करें और इसमें उससे एक व्यक्तिगत और आत्मिय रूप से स्पष्ट सुनने की योग्यता भी शामिल है।
परमेश्वर एक ऐसे लोगों की अभिलाषा रखता है जो उसकी आत्मा और सच्चाई से आराधना करें (यूहन्ना 4:23-24 देखिए)। जो उसका अनुकरण करते और उसकी आवाज़ को जानते हैं (यूहन्ना 10:2-14 देखिए)। परमेश्वर के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध की गहराई, उसके साथ हमारे आत्मिय संवाद पर निर्भर है। वह हमसे बात करता है ताकि हमारी अगुवाई हो, हम ताज़गी पाएँ, पुनरूस्थापित हों और लगातार नए बनें।
ध्यान देना सुनने का पहला कदम है। मैं आपको उत्साहित करूँगी कि उसकी ओर अपने कानों को लगाएँ और स्थिर हों। वह आपसे बात करेगा और आपको बताएगा कि वह आपसे प्रेम करता है। परमेश्वर आपके जीवन की चिंता करता है और आपकी ज़रूरतों को पूरा करना चाहता है और आपकी सोच और कल्पना से बढ़कर करना चाहता है कि आपको बहुतायत से आशीष दे (इफिसियों 3:20)।
आप उसके भेड़ों में से एक हैं और भेड़ चरवाहे की आवाज़ को जानती है। एक अजनबी की आवाज़ की वे अनुकरण नहीं करेंगे। आप परमेश्वर से सुन सकते हैं यह आपके विरासत का भाग है। किसी अन्य बात पर कभी भरोसा मत कीजिए। उसकी सुनिए तब आपके जीवन के संपूर्ण दिनों में उसका अनुकरण कीजिए।