परमेश्वर को आगे जाने देना

परमेश्वर को आगे जाने देना

भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, “हे शमौन, यूहन्ना के  पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है?” उसने उससे कहा,  “हाँ, प्रभु; तू तो जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ।”  उसने उससे कहा, “मेरे मेमनों को चरा।” -यूहन्ना 21:15

तीन बार यीशु ने पतरस से पूछा, “क्या तुम मुझ से प्रेम करते हो? पतरस, क्या तुम मुझ से प्रेम करते हो? क्या तुम मुझ से प्रेम करते हो पतरस?” अन्ततः तीसरी बार पतरस दुःखी हुआ, कि यीशु ने तीन बार उससे इस प्रकार पूछा। उसने कहा, “हाँ, प्रभु तू जानता है कि मैं तुझ से पे्रम करता हूँ।” तब हम उस कारण को पाते हैं कि यीशु क्यों पतरस से यह प्रश्न पूछ रहा था। “मैं तुझ से सच सच कहता हूँ, जब तू जवान था तो अपनी कमर बाँधकर जहाँ चाहता था वहाँ फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा तो अपने हाथ फैलाएगा, और दूसरे तेरी कमर बाँधकर जहाँ तू न चाहेगा वहाँ तुझे ले जाएगा।” (यूहन्ना 21:18)

परमेश्वर ने मुझे इस वचन के द्वारा चुनौती दी, क्योंकि मेरी अपनी योजनाएँ थी और मैं स्वयं के रास्तों पर चलती थी। यदि हम वास्तव में परमेश्वर की योजना चाहते हैं वह हम से कुछ ऐसी बातें करने को कह सकता है जो हम नहीं चाहते। यदि हम वास्तव में उससे प्रेम करते हैं, तो हम अपने जीवन में उसके मार्ग को होने देंगे।

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