अधिक सुनना चाहते हैं?

अधिक सुनना चाहते हैं?

तुम अपने परमेश्वर यहोवा के पीछे चलना, और उसका [आदर के साथ] भय मानना, और उसकी आज्ञाओं पर चलना, और उसका वचन मानना, और उसकी सेवा करना, और उसी से लिपटे रहना। (व्यवस्थाविवरण 13:4)

अगर हम परमेश्वर से सुनने की उम्मीद करते हैं, तो हमें उसकी आवाज सुननी चाहिए। अगर हम उसे अक्सर सुनना चाहते हैं, तो हमें भी उसकी आज्ञा मानने की ओर अग्रसर होना चाहिए। हमारे दिलों में उसकी आवाज के प्रति हमारी संवेदनशीलता आज्ञाकारिता द्वारा बढ़ाई जा सकती है और अवज्ञा के कारण कम हो सकती है। अवज्ञा अधिक अवज्ञा को जन्म देती है, और आज्ञापालन अधिक आज्ञापालन को जन्म देता है।

कुछ दिन ऐसे होते हैं जब हम जानते हैं, कि जैसे ही हम जागते, हमारा दिन “शरीर का दिन” होने वाला है। हम दिन की शुरुआत जिद्दी और आलसी, निराश और चिड़चिड़ा महसूस करते हुए करते हैं। हमारा पहला विचार होता हैः मैं चाहती हूं कि हर कोई मेरे खाने के प्रति जागरूक रहें चाहे: मैं दिन भर जो खाना चाहती हूं वह खाऊं- और मैं नहीं चाहती हूं कि कोई भी इसके बारे में कुछ भी कहें।

ऐसे दिनों में हमें निर्णय लेने की आवश्यकता है। हम उन भावनाओं का पालन कर सकते हैं या हम प्रार्थना कर सकते हैं, “परमेश्वर, कृपया मेरी मदद करें – और जल्दी करें!” हमारी भावनाएँ यीशु मसीह के प्रभुत्व में आ सकती हैं, यदि हम उसे बस अपने दृष्टिकोण को सीधा करने में हमारी मदद करने के लिए कहें।

मुझे शरीर के दिनों के बारे में सब पता है; मुझे पता है कि हम बुरा बर्ताव करना शुरू कर सकते हैं और फिर वह खराब होता जाता है। ऐसा लगता है कि एक बार जब हम स्वार्थी व्यवहार करना शुरू कर देते हैं और हमारे शरीर का पालन करते हैं, तो बाकी दिन यह बिगड़ जाता है। लेकिन हर बार जब हम अपने विवेक की आज्ञा मानते हैं, तो हम उस अवसर को बढ़ाते हैं, जिसका उपयोग परमेश्‍वर अपनी आत्मा द्वारा हमारी अगुवाई करने के लिए कर सकता है। हर बार जब हम परमेश्‍वर की आवाज को मानते हैं, तो यह अगली बार में और अधिक रोशनी देता है। एक बार जब हम परमेश्वर का अनुसरण करने की खुशी जानते हैं, तो हम उसके बिना जीने को तैयार नहीं होंगे।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः आज अपने लिए “शरीर का दिन” मत होने दीजिए।

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