प्रार्थना करो और डरो मत

प्रार्थना करो और डरो मत

क्योंकि परमेश्‍वर ने हमें भय (कायरता की, लालसा की, और शर्म की और चापलूस भय की) की नहीं पर सामर्थ्य और प्रेम और संयम की आत्मा दी है। 2 तीमुथियुस 1:7

परमेश्वर चाहता है कि हम हर चीज के लिए प्रार्थना करें और किसी भी चीज से न डरें। यदि हम अधिक प्रार्थना करें, कम चिंता करें और कम भयभीत हों, तो हम स्वयं को प्रभु के साथ एक घनिष्ठ, गहरे व्यक्तिगत संबंध में पाएंगे। तीमुथियुस कहता है कि परमेश्वर ने हमें भय की आत्मा नहीं दी है। इसलिए जब हमें डर लगता है, तब वह परमेश्वर की ओर से नहीं होता है। यह शैतान की ओर से है। शैतान हमें हर तरह के डर से डराने की कोशिश करेगा, और हमें कैसा लगता है इस बात में हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम प्रार्थना करना भूल जाते हैं।

यदि अब्राहम या यहोशू या दाऊद ने अपने घुटने को डर के सामने टेक दिया होता, जब उनके सामने कार्य कठिन लग रहा था, तो उन्होंने कभी भी परमेश्वर को उनके बहुतायत के प्रावधान के रूप में अनुभव नहीं किया होता।

परमेश्वर से बात करना और उसके वचन में समय बिताना आपको भय के आने पर उसका सामना करने की शक्ति देता है। जब आप वचन को अपने हृदय में रखते हैं, तब वह तब बाहर आता है जब आपको इसकी आवश्यकता होती है। मेरा मानना है कि हमें परमेश्वर के वचन को ज़ोर से कहते हुए स्वीकार करना चाहिए और अपनी प्रार्थनाओं को परमेश्वर के वचन से भरना चाहिए। हो सकता है कि शैतान आपसे न डरे, लेकिन वह विश्वासी के मुँह से विश्वास द्वारा परमेश्वर का जो वचन बोला गया है, उससे डरता है।

डर को दूर नहीं किया जा सकता है, इसका सामना करना होता है। प्रार्थना और परमेश्वर का वचन हमारे दो सबसे शक्तिशाली हथियार हैं, तो आइए उनका उपयोग करें!


प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर के हथियार बांध लो और शत्रु के सभी उग्र भय के तीरों के विरुद्ध खड़े हो जाओ।

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