बातों को जाने दें

बातों को जाने दें

अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है। सभोपदेशक 7:9

जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन पर आपका कुछ हद तक नियंत्रण होता है—उदाहरण के लिए, आप यह नियंत्रित कर सकते हैं कि आप किसके साथ समय बिताते हैं, आप क्या खाते हैं और आपको कब बिस्तर पर सोना हैं। लेकिन कई अन्य चीजें हैं जिन्हें आप नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, जैसे कि दूसरे आपके बारे में क्या कहते हैं या काम पर जाने के दौरान आपका टायर पंचर हो जाता है। जिस तरह से आप उन चीजों के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं जिन्हें आप नियंत्रित नहीं कर सकते–चाहे वह कितनी बड़ी या कितनी छोटी क्यों न हो–अक्सर यह आपके तनाव के स्तर और आपके जीवन तथा स्वास्थ्य की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।

उन चीजों से निपटने के बारे में मेरे पास दो सुझाव हैं जिन्हें आप नियंत्रित नहीं कर सकते। सबसे पहले, यदि आप उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी न लें। और दूसरा, मुझे यह कहना अच्छा लगता है, “अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयत्न करें, प्रार्थना करें, और बाकी का काम परमेश्वर को करने दें।”

जो लोग नियमित रूप से उनके नियंत्रण से बाहर की चीजों से परेशान हो जाते हैं, उन्हें कई तरह से नुकसान उठाना पड़ता है। जो लोग बातों को जाने देते हैं वे बहुत बेहतर कार्य कर पाते हैं। कुछ चीजों को छोड़ देने का मतलब यह नहीं है कि आपको परवाह नहीं है; इसका सीधा सा मतलब है कि आपने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि आप उस समय उन्हें बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं। टायर पंचर पहले ही हो चुका है। शांति से इसकी मरम्मत करना या इसे बदलना समझदारी है; गुस्सा होना और टायर को लात मारना नहीं। यदि हम प्रत्येक तनाव का उचित रूप से सामना करते हैं, तो हम जीवन की सड़क पर की अपरिहार्य बाधाओं पर हताशा से विस्फोटित नहीं होंगे।


परमेश्वर आपकी भलाई के लिए असुविधा या निराशा का भी उपयोग कर सकता है। वह बिलकुल आपके साथ है, और वह नियंत्रण रख रहा है। यदि आप चीजों को ठीक करने के लिए उस पर भरोसा करते हैं, तो आप शांति, आनंद और शक्ति के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव की सवारी करने में सक्षम होंगे।

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