परन्तु वचन पर चलनेवाले बनो, और केवल सुननेवाले ही नहीं जो अपने आपको धोखा देते हैं। -याकूब 1:22
आज समाज में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक यह है कि लोग अपने जीवन की ज़िम्मेदारी लेना नहीं चाहते हैं वे सब कुछ तुरन्त करना चाहते हैं। समाज ने उन्हें यह विश्वास करने के लिए प्रशिक्षित किया है कि यदि उनकी समस्याएँ हैं तो कोई और ज़िम्मेदार हैं, उनके माता-पिता ज़िम्मेदार हैं, उनके साथी ज़िम्मेदार हैं, उनके विद्यालय या उनके नियोक्ता ज़िम्मेदार हैं। वे कम्पनियाँ ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने सिगरेट या गाड़ियाँ या भोज्य पदार्थ बनाए।
मैं यह नहीं कह रही हूँ कि आपके जीवन की वास्तविक परिस्थितियों के लिए आप ज़िम्मेदार हैं। हमारे जीवन में बहुत सारे अनियन्त्रित बातें घटित होती है। कभी कभी हम अपने बचपन में बहुत बुरे संदेश प्राप्त करते हैं। कभी कभी हमारे जीवन में बहुत बुरे लोग आते हैं जो हमें पीड़ा देते हैं। आप जिस परिस्थिती में स्वयं को पाते हैं उसने शायद आपकी गल्ती हो सकती है या नहीं भी हो सकती है! परन्तु आप यदि उसमें पड़े रहते हैं तो यह आपकी गलती है। आपको उस बुरी परिस्थिती में पड़े नहीं रहना है आपको एक चुनाव करना है और वह चुनाव शत प्रतिशत आपका है।
चाहे आप उस परिस्थिती में कैसे पड़े जहाँ पर आप आज हैं तो उसे वहाँ ठहरे रहने का बहाना मत बनाईए। मेरे बुरे स्वास्थ्य के लिए, बुरे व्यवहार के लिए, और असन्तुलित जीवन के लिए मेरे पास बहुत सारे बहाने है। जब तक मैं बहाने लेती हूँ तब तक मैंने कभी भी उन्नति नहीं पाई।
स्वयं के साथ और परमेश्वर के साथ ईमानदार होने का समय आ गया है। जब आपके पास निजिता के क्षण आते हैं एक गहरी साँस लें अपने दीमाग़ को साफ़ करें और इस वाक्य को दोहराइए। ‘‘मैं अपने इस जीवन के लिए उत्तरदायी हूँ। कोई भी इसका उत्तरदायी नहीं हो सकता है, केवल मैं। यदि मैं अप्रसन्न और अस्वस्थ्य हूँ मैं जानती हूँ कि मुझ में इसे बदलने की ताकत है। मेरे पास सब प्रकार का ज्ञान और सहायता है जिसकी मुझे ज़रूरत है और आज परमेश्वर के हाथ के द्वारा मैंने वह श्रेष्ठ व्यक्ति बनना प्रारंभ कर दिया हूँ जिनके विषय में मैं हमेशा जानता था कि मैं बन सकता हूँ।”