अविश्वास का पाप

अविश्वास का पाप

उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वासा किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि ‘‘तेरा वंश ऐसा होगा’’, वह बहुत सी जातियों का पिता हो। वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास मं निर्बल हुआ, और अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की, और निश्चय जाना, कि जिस बात की उस ने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है। – रोमियों 4:18-21

जैसा कि मैंने कहा, संदेह प्रश्न करता है। वह हमें ऐसा पूछने को कहता है, क्या परमेश्वर ने सचमूच में कहा? क्या वचन का यही तात्पर्य था? यह अस्त्र शैतान का हमारे मन में प्रवेश करने का स्थान होता है। केवल ऐसे साधारण और आसान प्रश्न शैतान के लिए हमारे मन पर आक्रमण करने के लिए काफी होता है।

अविश्वास संदेह से बहुत ही बुरा होता है। संदेह प्रश्न लाता है, परन्तु अविश्वास परिणाम लाता है। मैंने देखा है कि शैतान मसीहियो पर एक प्रश्न पूछने के द्वारा आक्रमण करता है, और तब यह संदेह का करण बनता है कि अदन के बगिचे में पाप का विजय इसी प्रकार से शुरू हुआ। शैतान ने हवा से कहा, ‘‘क्या सच है कि परमेश्वर ने कहा, ‘कि तुम इसी वाटिका के किसी वृक्ष के फल न खाना?’’ (उत्पति 3:1ब)। परमेश्वर के साथ लड़ाई नहीं लड़ता है या वचन के साथ वाद विवाद नहीं करता है, वह केवल प्रश्न पूछता है और हमारे मन को बाकी काम करने देता है।

जब ऐसे साधारण रीति से प्रश्न आता है तो स्पष्ट उत्तर होना चाहिए, कि नहीं इसका तात्पर्य यह नहीं था। इस प्रतिक्रिया के साथ शैतान आपके मन में एक दृढ़ गढ़ स्थापित कर लेता है। और यहां से कुछ ही देर में आप विश्वास की कमी में पहुँच जाएँगे।

मैंने बहुत से लोगों से बात किया है जो इस प्रकार से विश्वास से दूर किए गए हैं। उन्होंने विश्वासयोग्यता के साथ शुरू किया और उन्होंने मसीह के समर्पित अनुयायी थे। लेकिन जैसे ही शैतान ने उनके मन में संदेह और अविश्वास को रोपित किया। उन्होंने आत्मिक बातों के प्रति पीठ दिखाना शुरू कर दिये। एक व्यक्ति ने कहा, मैं उन दिनों साधारण और नया था। जो कुछ भी मैं सुनता था मैं विश्वास कर लेता था। मैं अब अच्छी रीति से जानता हूँ, शैतान ने उससे उसके विश्वास को चुरा लिया, और धीरे धीरे उसका परिणाम स्वरूप उसका आनन्द और आशा भी खतम हो गया।

मैं इस चीज से परिचित हूँ। मेरी सेवकाई के कारण कुछ लोग सोचते हैं, कि मैंने सब कुछ का हल ढूँढ लिया है और मेरे मन में कभी भी विश्वास के लिए युद्ध नहीं चलता है। मैं कह सकती हूँ कि कोई भी व्यक्ति स्वर्ग इस पार ऐसे स्थान पे नहीं पहुँचता है। जैसे ही हम अपने रक्षा कवच को नीचे डाल देते हैं, भले ही थोड़ ही मात्रा में हो। शैतान हमारे पीछे पीछे भीतर प्रवेश करता है और हमारे कान में झूठ बोलना शुरू कर देता है। हो सकता है इसी कारण अब्राहम का कहानी मेरे लिए उत्साह का कारण रही है। जब मैं विश्वास के साथ युद्ध लड़ती हूँ, और परमेश्वर के वचन को लेती हूँ। तो मैं अक्सर रोमियों 4 पढ़ती हूँ। ईश्वीय व्यक्ति का वर्णन निश्चय ही अद्भूत है और आश्चर्यजनक है। स्वभाविक रूप से सब कुछ अब्राहम को दिए गए प्रतिज्ञा के विरोध में दिखाई पड़ता था। मुझे निश्चय है, जब अब्राहम ने इस बात को कहा तो लोग हंसे होंगे, कि परमेश्वर मुझे एक सन्तान देगा। शैतान के थट्टा करनेवाले हर हगह हमेशा रहते थे। परन्तु अब्राहम परीक्षा में खड़ा हुआ। बाइबल कहती है, पद (19 और 20) मैं इस कथन को बहुत पसन्द करती हूँ।

पवित्र आत्मा ने जब मुझे सेवकाई के लिए बुलाया, उसके बाद उस दीन मैं और नम्र की गई। मैं सोची, मैं कौन हूँ कि परमेश्वर मुझे बुलाए? मैं हजारों कारण ढूँढ सकती थी कि परमेश्वर ने किसी और को नहीं, परमेश्वर ने जॉयस को बुलाया कि वह उसे इस्तेमाल कर सके। परन्तु मैं उसकी बुलाहट को विश्वास किया और तब मेरे मन में कोई संदेह नहीं था।

बुलाहट के बाद के महीनों में मेरी इच्छा के विपरित बातें बहुत धीमी आगे बढ़ी। मेरी गिनती के बाहर कई बार मैंने स्वयं को अब्राहम पर और उसके लिये परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर ध्यान करते हुए पाया। यदि अब्राहम के समान एक मनुष्य विश्वास कर सकता था, और अविश्वास के कारण धोखा नहीं खा सकता था, तो जायस मेयर क्यों नहीं? मैंने लड़ाई लड़ी और परमेश्वर का अनुग्रह मेरे साथ था और मैं जीती। ऐसा ही हर बार हमारे साथ होता है। एक नया युद्ध और एक आनन्द दायक विजय।

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परमेश्वर और अब्राहम के पिता, मैं अब्राहम के उदाहरण के लिये धन्यवाद देता हूँ। मेरी सहायता कर कि मैं शैतान को हटा सकू और मेरे जीवन के लिए तेरे वादे और प्रतिज्ञा पर पूरी तरह निर्भल रहू, भले मेरे साथ कोई न हो। यीशु के नाम में। आमीन्।।

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