आनंद मनाने की सामर्थ्य

आनंद मनाने की सामर्थ्य

आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए प्रमेश्वर के भजन गा रहे  थे और कैदी उनकी सुन रहे थे। इतने में एकाएक बड़ा भूकंप आया यहाँ तक कि  बन्दीगृह की नींव हिल गई और तुरंत सब द्वार खुल गए और सबके बंधन खुल पड़े।  -प्रेरितों 16:25-26

संपूर्ण बाइबल में परमेश्वर अपने लोगों को आनंद और खुशी से भरने का निर्देश देता है। उदाहरण के लिए, फिलिप्पियों 4:4 कहता है, “प्रभु में सदा आनन्दित रहो (प्रसन्न, खुश, और स्वयं को उसमें रखो) मैं फिर कहता हूँ आनन्दित रहो!”

किसी भी समय जब प्रभु कुछ करने के लिए दो बार कहता है-इस पद में फिलिप्पियों से दो बार आनन्दित होने के लिए कहा गया है तब हमें उस पर सतर्क होकर ध्यान देने की ज़रूरत है। बहुत बार लोग आनंद शब्द सुनते या देखते हैं और सोचते हैं कि हाँ, यह अच्छा लगता है परन्तु मैं यह किस प्रकार करूँ? वे आनन्दित होना चाहते हैं परन्तु नहीं जानते कि किस प्रकार आनन्दित हों!

पौलुस और सीलास जिनके साथ मारपीट करके कैद खाने में डाल दिया गया और उनके पाँव बेड़ियों से काठ में जकड़ दिए गए परमेश्वर की स्तुति गाते हुए आनंदित हुए। हम अक्सर नहीं समझते कि “आनंदित” होना इतनी सामर्थ्य ला सकता है और यह उतना ही आसान है जितना कि हँसना, मुस्कुराना, और एक अच्छा समय व्यतीत करना और स्वयं का आनंद उठाना। और इस प्रकार करना अपने आप में अक्सर समस्या को दूर करता है!

यदि प्रभु के साथ आपका व्यक्तिगत संबंध है-यदि आप बचाए गए हैं-तो पवित्र आत्मा आप में रहती है (यूहन्ना 14:16-17; और 1 कुरिन्थियों 12:3 देखिए)। यदि आनंद आत्मा का फल है और आत्मा आप में है तो आनंद आप में है। आप आनंद पाने का और उसका उत्पादन करने का प्रयास नहीं करते हैं, यह पहले से है। ठीक उसी प्रकार जैसे प्रेम करने और आत्मा के अन्य फलों की योग्यता आप में है क्योंकि आप में आत्मा है।

यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विश्वासियों के रूप में हम आनंद पाने का प्रयास नहीं करते हैं आनंद पहले से है। आनंद हमारी आत्मा में है हमें केवल यह सीखने की ज़रूरत है कि उसे कैसे व्यक्त करें।

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