बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी। – भजन संहिता 111:10
यदि आप नीतिवचन की पुस्तक पढ़ेंगे और उन सभी मूलभूत पदों पर ध्यान देंगे जो उन लोगों से किए गए हैं जो बुद्धि में चलते हैं और तब समझें कि भय और आराधना बुद्धि का आरंभ है, आप तुरन्त ही देखेंगे कि भय और बुद्धि इतनी महत्वपूर्ण क्यों है।
बाइबल कहती है कि जो बुद्धि में चलते हैं वे लम्बा जीवन व्यतीत करेंगे, वे अत्यधिक आनन्दित होंगे। वे आशीषित होंगे इतने आशीषित कि उनसे जलन किया जाएगा। (नीतिवचन 3:1-18 देखिए) परन्तु आराधना के बिना बुद्धि जैसी कोई बात नहीं है।
बहुत से लोग आज ज्ञान की खोज कर रहे हैं और ज्ञान अच्छा है परन्तु बुद्धि अधिक अच्छी है। ज्ञान का सही उपयोग ही बुद्धि है। बुद्धि के बिना ज्ञान किसी को घमण्डी या अभिमान से परिपूर्ण बना सकता है जो अन्ततः उसके जीवन को नाश कर देगा। एक बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा ज्ञानवान होगा परन्तु हर एक ज्ञानवान व्यक्ति बुद्धिमान नहीं होता है। मैं विश्वास करती हूँ कि हमारे समाज में आज हमें इतना अधिक ज्ञान को ऊपर उठाना चाहिए उससे अधिक करते हैं। शिक्षा अधिकतर लोगों का मुख्य लक्ष्य दिखाई देता है, और फिर भी हमारा समाज नैतिक रूप से शीघ्रता से पतित हो रहा है।
शिक्षा अच्छी है परन्तु यह बुद्धि से अच्छी नहीं है। परमेश्वर का वचन हम से बुद्धि के लिए पुकारने को कहता है। उसे खोजो जैसा हम सोने और चाँदी को खोजते हैं। उसे जीवन की अनिवार्यता बनाओ। बुद्धि से अधिक कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है और इसकी शुरूआत श्रद्धा और आराधना से होती है। आराधना करनेवाले परमेश्वर के द्वारा बुद्धि सिखाए जाएँगे।