उसका इंतज़ार करो

उसका इंतज़ार करो

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। -यशायाह 40:31

यशायाह हमें सिखाता है कि प्रभु का इंतज़ार करें जब हम जानते हैं कि हमारे सामर्थ्य को नया करने की ज़रूरत है। परमेश्वर का इंतज़ार करने का तात्पर्य उसके साथ उसके वचन और उसकी उपस्थिती में समय व्यतीत करना है। कुछ लोग हैं जिनके आस पास रहने के द्वारा हम उनसे सामर्थ्य ले सकते हैं। उनकी उपस्थिती जिस रीति से वे बात करते हैं जीवन को जिस नज़रिए वे देखते हैं हमें अच्छा महसूस कराते हुए लगता है जब हम निरूत्साहित और गर्त में जाते हुए महसूस करते हैं। उसी प्रकार ऐसे लोग हैं जो हमें हमेशा बुरा महसूस कराते हैं। वे प्रत्येक बात में एक नकारात्मक बात ले आते हैं।

जब आपको और मुझको बल पाने की ज़रूरत होती है हमें परमेश्वर के साथ और पवित्र आत्मा से भरे हुए लोगों के साथ समय व्यतीत करना चाहिए। परमेश्वर की उपस्थिती में समय व्यतीत करना एक ऐसे कमरे में बैठने के समान है जो पुरी रीति से सुगंध से भरा हुआ हो। यदि हम लम्बे समय तक वहाँ पर बैठे रहते हैं तो जब कमरा छोड़ने पर हम उस सुगंध को ले आते हैं। यह हमारे कपड़ों पर, हमारे बालों पर, हमारी त्वचा पर, आ जाती है।

मूसा एक प्रार्थना करने वाला मनुष्य था। उसने परमेश्वर के साथ बात करते हुए और प्रार्थना करते हुए एक अच्छा समय व्यतीत किया। वह जानता था कि यदि परमेश्वर उसकी सहायता नहीं करेगा वह दुःखदायी रीति से पराजित हो जाएगा। परमेश्वर को खोजने की मूसा की विश्वास योग्यता के कारण उसे एक निश्चयता का संदेश दिया गया। यहोवा ने कहा, “मैं आप तेरे साथ चलूँगा और तुझे विश्राम दूँगा।” (निर्गमन 33:14)

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