
जो समाचार (उसकी प्रतिज्ञा का संदेश) हम ने उससे सुना है और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है कि परमेश्वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं। (इसिलिए) यदि हम कहें कि उसके साथ हमारी सहभागिता है और फिर अंधकार में चलें, तो हम झूठे हैं और सत्य पर नहीं (किसी भी रीति से) चलते। -1 यूहन्ना 1:5-6
बहुत बार ऐसी बातें जिनको हम अपने भीतर गहराई में दफ़ना देते हैं वह हमारे भीतर अंधकार बन जाती है। परन्तु यह भाग हमें बताता है कि परमेश्वर में किसी प्रकार का अन्धकार नहीं है। इसीलिए जब हम उसे अपने हृदय और मन में पूर्ण प्रवेश की अनुमति देते हैं, तो वहाँ कोई अंधकार नहीं होता है। मैं बहुत अधिक आनंदित हूँ कि परमेश्वर मेरे हृदय के हर एक कक्ष को भरता है ताकि मैं उसके प्रकाश से भरा रहूँ। मेरे हृदय में ऐसी कोई जगह नहीं है कि मैं उनके विषय में जानूँ कि वह उसके और उसके प्रकाश के प्रवेश से वाधित है जो उसकी उपस्थिती से आता है। अधिकांशतः सुसमाचार के प्रकाश में चलने में हमारे संकेतों में से एक है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ हमारा संबंध जिनके साथ हम अपने दैनिक जीवन में संपर्क में आते हैं – हमारे जीवन साथी और बच्चे भी इसमें शामिल हैं।
मैं सच्चाई से कह सकती हूँ कि इस समय मैं अपने जीवन में किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानती हूँ जिसके साथ मेरी बड़ी समस्या हो और ये इसलिए नहीं कि वे सब बदल गए हैं। कारण यही कि मैं प्रभु को मेरे हृदय की उन अन्धेरे स्थानों पर आने और उसमें अपने अद्भुत ज्योति को भरने की अनुमति दी है। जब मैं भीतर का एक व्यक्ति था और जब मैं भीतर और बाहर एक दूसरा व्यक्ति था तो मुझे मुखौटा पहनने और नाटक करने की आवश्यकता थी। मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि अब मैं परमेश्वर के सामने खड़ी हो सकती हूँ और आपने और दूसरों के साथ शांति में हो सकती हूँ।
मुझे अब आगे को इस भय में जीने की ज़रूरत नहीं है कि कोई मेरे विषय में क्या सोचेगा, क्योंकि मैंने अपने हृदय को परमेश्वर के पवित्र आत्मा के लिए खोल दिया है और उसने मेरे भीतर के अंधेरे स्थानों को प्रकाशमान कर दिया है, कि मैं स्वतन्त्रतापूर्वक जीवित रहूँ। आप यही बात कह सकते हैं यदि आप अपने हृदय को परमेश्वर के प्रति खोलते और उसे आपके भीतर के प्रत्येक भाग को जीवनदायक आत्मा के द्वारा भरने की अनुमति देते हैं।