
पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है? हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। – 1 यूहन्ना 3:17-18
मसीही होते हुए, परमेश्वर हम में से प्रत्येक में तरस को रखता है, पर यह निर्णय करना हम पर है कि हम इसे प्राप्त करने के लिए हमारे हृदयों को खोलते या बंद करते है। मैंने यह पाया है कि एक बात जो सचमुच मेरे दिल को तरस के लिए खुला रखती वो गंभीरता से उन आवश्यकताओं के बारे में सोचना है जो आज संसार में है।
हमें उनके बारे में सोचना है जो हम से कम भाग्यशाली है और जो दुखों में है उनके लिए अपने दिलों को खोलना है।
1 यूहन्ना 3:17-18 पढ़ें। मैं सचमुच उन आयतों को पसंद करती हूँ क्योंकि वह विशेष संकेत करती है कि जब मैं कोई आवश्यकता देखती हूँ, तब मैं किसी और की तरफ वो जिम्मेदारी नहीं मोड़ सकती हूँ। ना ही मैं यह सोच सकती हूँ कि यह आवश्यकता बहुत बड़ी है, मैं इसके बारे में कुछ नहीं कर सकती हूँ, जो कि सत्य नहीं है। मैंने हमारी सेवकाई में यह पाया है कि चाहे कि आप और मैं एक स्थिति के बारे में कुछ नहीं कर सकते, पर हम कुछ तो कर सकते है। और कुछ जो हम कर सकते वह लोगों के लिए आशा को लाना है।
मैं प्रार्थना करती हूँ कि आप अपने तरस के दिल को संसार में आवश्यकता में लोगों के लिए और ज्यादा खोलें।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं प्रत्यक्ष तौर पर अन्यों की आवश्यकता के लिए स्वार्थ से बेखबर जीवन नहीं व्यतीत कर सकती हूँ। मैं आपके तरस को प्राप्त करने के लिए दिल खोल सकती हूँ ताकि मैं अन्यों की सहायता कर सकूँ।