केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यह जानकर कि क्लेश से धीरज होता है। – रोमियों 5:3
आपके मसीही जीवन के कुछ बिन्दुओं पर आप ने सुना होगा कि यीशु आपको हर प्रकार के दुःख से छुड़ाना चाहता है और यह सच है-और वह ऐसा चाहता है। फिर भी इसमें बदलाव शामिल है ओर बदलाव कभी भी आसान नहीं होता। स्वतन्त्रता का मार्ग और आपके जीवन का आनंद उठाना कठिन हो सकता है। फिर भी आगे की ओर स्वतन्त्रता की ओर बढ़ना निश्चित ही गुलामी में रहने से आसान है।
जब मैंने पहले पहले समझा कि यीशु मुझे स्वतन्त्र कर सकता है और स्वतन्त्र करना चाहता है मैं उस स्वतन्त्रता को प्राप्त करना चाहती थी। परन्तु ‘‘मैं अब और दुःख नहीं सहना चाहती थी।” मैंने बहुत कष्ट सह लिया है। परन्तु जब तक हम गुलामी में हैं तो हम दुःख सह रहे हैं और ये इस तरह का दुःख है जिसका कोई अंत नहीं है। यदि हम यीशु को हमारी अगुवाई करने दें, उस रास्ते से जहाँ से हमें स्वतन्त्रता मिलती हो, तो कुछ क्षण के लिए हमें दुःख हो सकता है। परन्तु कम से कम ऐसा दुःख होगा जो स्वतन्त्रता को नए जीवन की ओर ले चलता है।
बहुत से लोग कभी भी स्वतन्त्रता के आनंद का अनुभव नहीं कर पाते क्योंकि दुःख के विषय में उनके मन के विचार गलत होते हैं। ऊपर लिखित वचन प्रगट करता है कि हमें विश्वास से आनन्दित होने का चुनाव करना है जबकि हम कठिन परिस्थिती से गुज़र रहे हैं यह जानते हुए कि चूँकि परमेश्वर हम से प्यार करता है इसका एक शुभ अंत होगा जो इस मुद्दे में परिपक्व चरित्र है।