और यूसुफ़ के स्वामी ने उसे पकड़कर बंदीगृह में, जहाँ राजा के कैदी बंद थे, डलवा दिया; अतः वह उस बंदीगृह में रहा। पर यहोवा यूसुफ के संग संग रहा और उस पर करूणा की, और बंदीगृह की दारोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई। इसलिए बंदीगृह के दारोगा ने उन सब बंदियों को, जो कारागार में थे, यूसुफ़ के हाथ में सौंप दिया; और जो जो काम वे वहाँ करते थे, वह उसी की आज्ञा से होता था। यूसुफ़ के वश में जो कुछ था उसमें से बंदीगृह के दारोगा को कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; क्योंकि यहोवा यूसुफ़ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उसमें सफ़लता देता था। -उत्पत्ति 39:20-23
यद्यपि यूसुफ को न्यायपूर्वक दण्ड दिया गया क्योंकि उसे अपराध के लिए कारागृह में डाला गया जिसे उसने नहीं किया था। प्रभु अब भी उसके साथ था और अब भी उसकी देखभाल करता था। एक व्यक्ति सच में इतने बुरे आकार में नहीं है चाहे वह कारागृह में डाल दिया जाए। यदि परमेश्वर उस पर कृपा करे और उसे ऐसे स्थान पे रखे जहाँ पर वो वहाँ होने वाली हर एक बात के ऊपर ठहराया जाए। परमेश्वर आपको कृपा देना चाह रहा है ठीक उसी प्रकार जैसा उसने यूसफ़ के साथ किया। परन्तु उस कृपा को पाने के लिए आपको वह करना चाहिए जो यूसुफ़ ने किया और उसके लिए विश्वास करना चाहिए। एक बुरी परिस्थिती में यूसुफ़ एक अच्छे स्वभाव को बनाके रखा। उसका एक “विश्वास का व्यवहार” था और परमेश्वर ने उस पर कृपा की। जब परमेश्वर की कृपा आपके ऊपर और आपके समान लोगों के ऊपर है तो बिना किसी विशेष कारण के वे आपको आशीष देना चाहते हैं।