इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान (मानवीय दर्शनशास्त्र) पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ्य पर निर्भर हो। (1 कुरिन्थियों 2:5)।
शिक्षण महत्वपूर्ण है, पर हमें सदा याद रखना चाहिए कि परमेश्वर की बुद्धि संसारिक शिक्षण और मानवीय दर्शनशास्त्र से उत्तम और ज्यादा मूल्यवान है। प्रेरित पौलुस एक बहुत ही शिक्षित पुरूष था, पर उसने दृढ़ता के साथ वर्णन किया कि यह परमेश्वर की सामर्थ्य थी जिसने उसके प्रचार को मूल्यवान बनाया था, ना कि उसके शिक्षण ने।
मैं बहुत से लोगों को जानती हूं जो कि आदर और डिग्री के साथ कॉलेज से स्नातक हुए थे पर उन्हें नौकरी प्राप्त करने में मुश्किलें आई थी। मैं ऐसे लोगों को भी जानती हूं जिन्हें कॉलेज जाने का अवसर नहीं मिला था जो कि, परमेश्वर से उन पर कृपा करने के लिए निर्भर रहे थे और उन्हें अंततः अच्छी नौकरियां मिली थी। आपका भरोसा कहां पर है? क्या यह परमेश्वर पर या जो आप जानते उस पर है? चाहे हम कुछ भी क्यों ना जानते हो, या जिसे भी हम जानते हो, हमारा भरोसा केवल परमेश्वर और उसकी सामर्थ्य पर होना चाहिए।
पौलुस 1 कुरिन्थियों 1:21 में वर्णन करता है कि संसार इसकी सारी मानवीय बुद्धि और दर्शनशास्त्र में परमेश्वर को जानने में असफल हो गया, पर उसने स्वयं को प्रचार की मूर्खता के द्वारा प्रकट करना, और मानवजाति को उद्धार देना चुना। दुख के साथ, हम अक्सर यह पाते है कि जितना ज्यादा उच्च शिक्षित लोग होते है, उतना ज्यादा उन्हें, बालक के समान विश्वास करने में मुश्किल होती है। बहुत सा दिमागी ज्ञान और तर्क वास्तव में हमारे विरूद्ध ही कार्य कर सकता है अगर हम सावधान नहीं है, क्योंकि हम केवल आत्मा और दिल के द्वारा ही परमेश्वर को जान सकते है, दिमाग के द्वारा नहीं। यह सुनिश्चित करें कि जीवन के सभी क्षेत्रों में सहायता के लिए आपका विश्वास परमेश्वर की शक्ति में स्थिर हो और ना कि मानवीय तर्क पर।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर की शक्ति कोई भी रूकावट जिसका आप सामना करते उस पर जय पा सकती है।