
और उसको चाँदी के समान ढूँढ़ें, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहें; तो तू यहोवा के भय केा समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुँह से निकलती है। – नीतिवचन 2:4-6
हर किसी से परामर्श माँगते नहीं फिरो। पहले प्रार्थना करो, परमेश्वर से पूछो कि किसी और मनुष्य से सलाह लेना उसकी इच्छा में है या नहीं या वह स्वयं ही सलाह देने की इच्छा रखता है। मेरे अपने जीवन में अपनी बहुत, बहुत समस्याएँ थी, फिर भी मैं कभी भी किसी से सलाह माँगने नहीं गई। इस अवसर पर मैं सेवा कर रही एक महिला के पास गई जिसने स्वयं के साथ दुर्वव्यवहार किया था। मैं उनका अपमान करना नहीं चाहती हूँ वह सच में मेरी सहायता करने में सक्षम नहीं थी। इसमें उनकी गलती नहीं थी; वह ऐसा करने के लिए प्रभु से अभिषिक्त नहीं थी।
जिसमें वह पहले नहीं करता है उसे अभिषिक्त करने के लिए परमेश्वर बाध्य नहीं है। अकसर लोग पवित्र आत्मा की अगुवाई और नेतृत्व का अनुकरण किए बिना दूसरों के पास दौड़ लगाते हैं और इससे कभी कुछ भला, अनंत फल नहीं आता है। जब आप कष्ट में होते हैं तो फोन करने से पहले सिंहासन के पास जाईए। मैं यह सलाह नहीं दे रही हूँ कि परामर्श लेना गलत है। मैं सलाह दे रही हूँ कि आप प्रार्थना करें और परमेश्वर को आपको पवित्र आत्मा द्वारा नेतृत्व और अगुवाई देने दें। उसे आपके लिए सही सलाहकार चुनने दें। केवल इसिलिए कि कोई व्यक्ति आपके ही समान अनुभव से गुज़र रहा है, या एक निकट मित्र है, इसका यह तात्पर्य नहीं कि वह व्यक्ति आपके लिए सही सलाहकार है। इसिलिए मैं दोहराती हूँ, प्रार्थना कीजिए!