बुराई से न हारो, परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो। – रोमियों 12:21
हम भलाई से बुराई को जीतते हैं। मैं विश्वास करती हूँ कि यह सत्य हमारे सबसे ताकतवर हथियारों में से एक और सबसे बड़ा भेद है। परमेश्वर चाहता है कि प्रत्येकजन इसे जाने परन्तु शैतान हमें हमारी समस्याओं और व्यक्तिगत तकलीफ़ों में इतना अधिक उलझाकर रखता है कि हममें से कम ही लोग इसकी सामर्थ्य को कभी जान पाते हैं। हमारे जीवन में शैतान ने जो तकलीफ़ लाई है उसके लिए हम दूसरों के प्रति भले बनने के द्वारा उसे बदला दे सकते हैं। हम दूसरों के प्रति भला करने के द्वारा उस (बुराई) पर विजय पाते हैं। जब हम उसकी भलाई को अपने द्वारा होने देते हैं तब वास्तव में परमेश्वर ही है जो शैतान पर विजय पाता है। शैतान हमारे तकलीफ़ का उपयोग हमें नाश करने के लिए करना चाहता है, परन्तु उसकी उम्मीद के विपरीत करने के द्वारा हम उसकी योजना का नाश करते हैं।
किसी और के प्रति भला होना न केवल शैतान को हराता है बल्कि यह हमारे अपने जीवन में आनंद भी लाता है। ऐतिहासिक रूप से लोग जो किसी और के द्वारा लगातार पीड़ित होते हैं उदासी का अनुभव करते हैं। मैं आंशिक रूप से इस पर इस सत्य के कारण विश्वास करती हूँ क्योंकि उनका ध्यान किसी और के दर्द को दूर करने पर होने के बजाए अपने दर्द पर होता है। परमेश्वर ने हमें “भीतर रहने” के लिए नहीं बुलाया है। उसने हमें “बाहर जाने” के लिए बुलाया है। जब हम दूसरों तक पहुँचते हैं तब परमेश्वर प्राणों में आकर हमें चंगा करता है। वही केवल एकमात्र है जो टूटे हृदय को ठीक कर सकता है और घायल को नए से भी अधिक अच्छा कर सकता है।