किसी को रथों का, और किसी को घोड़ों का भरोसा है, परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे। —भजन संहिता 20:7
विश्वास के कई पहलू हैं। हालांकि, सबसे शानदार पहलू भरोसा है! भरोसा एक ऐसी चीज है जो हमारे पास होती है, और हम तय करते हैं कि उसके साथ क्या करना है। हम तय करते हैं कि हम किस व्यक्ति पर या किस चीज पर भरोसा करें।
आपने आपका भरोसा किस पर रखा है? क्या आपका भरोसा आपकी नौकरी, आपके मालिक, आपके बैंक खाते या मित्रों पर है? शायद आपका भरोसा खुद पर है, आपकी पिछली सफलताओं, शिक्षा, स्वाभाविक प्रतिभाएं, या संपत्ति पर है। ये सारी बातें अस्थायी हैं, परिवर्तन के अधीन हैं। केवल परमेश्वर ही वह है जो बदलता नहीं। वो अकेला वह चट्टान है जिसे हिलाया नहीं जा सकता।
परमेश्वर की सन्तान होने के नाते, हमें यह आश्वासन मिला है कि परमेश्वर हमें वर्तमान संकटों से छुड़ाएगा, ठीक वैसे ही जैसे उसने हमें अतीत में छुड़ाया था। तब हम अपना भरोसा लेकर उसे सही जगह रख सकते हैं, और वह जगह केवल परमेश्वर में ही है।
भरोसा मतलब परेशान होना नहीं है, क्योंकि यह परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश कर चुका है। भरोसा मतलब भ्रमित होना नहीं है, क्योंकि उसे अपनी ही समझ पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। भरोसा न हारता है और न घबराता है। भरोसा मतलब यह विश्वास होता है कि परमेश्वर भला है और वह सभी चीजों में से भलाई ही उत्पन्न करता है!
परमेश्वर में भरोसा रखने का चुनाव करें। यह अद्भुत लाभांश देता है।