विश्वास एक माध्यम है श्रोत नहीं

विश्वास एक माध्यम है श्रोत नहीं

मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो  आकाश और पृथ्वी का कर्ता है। -भजन संहिता 121:2

हमें विश्वास के बारे में जानने की ज़रूरत है। विश्वास एक अद्भुत चीज़ है। बाइबल कहती है कि बिना विश्वास के परमेश्वर को प्रसन्न करना असंभव है। (इब्रानियों 11:6 देखिए) कारण यह है कि इसके बहुत महत्वपूर्ण होने और शुद्ध होने का कारण यह है कि क्योंकि इसी माध्यम के द्वारा हम परमेश्वर की सभी प्रकार की भलाईयों को प्राप्त करते हैं जो वह हमें देना चाहता है। इसलिए विश्वास में परमेश्वर अपने लोगों को प्रशिक्षण देता है। वह चाहता है कि उसके लोग अपनी आँखों को उस पर लगाए रखें और उस पर विश्वास करना सीखें, ताकि वह उनके लिए और उनके द्वारा वह कर सके जो वह इस पृथ्वी पर करना चाहता है। प्रार्थना, स्तुति, मनन, बाइबल अंगीकार, आत्मिक युद्ध, और अन्य सभी प्रकार की बातों के विषय में यह सत्य है जिसके विषय में हम सुनते रहे हैं और हम शामिल रहे हैं।

परन्तु हमारी सभी आत्मिक गतिविधियों में हमें अवश्य सावधान होना है कि हम इन बातों में आरधना करना, इनकी प्रशंसा करना, इन पर भरोसा करना, और प्रभु के बजाए उन चीज़ों पर भरोसा करना प्रारंभ न कर दें। यह संभव है कि हम अपनी प्रार्थना के विषय अपने बाइबल अध्ययन, अपने अंगीकार, और अपने मनन, और अपनी स्तुति, और अपने अच्छे कार्यों की आराधना करने लगे। यह संभव है कि हम परमेश्वर में अपने विश्वास रखने के बजाए अपने विश्वास में विश्वास करना प्रारंभ कर दें। यह लगभग डरावनी बात है क्योंकि इन दोनों के बीच में बहुत ही पतली रेखा है। परन्तु वह बात जो हमें अवश्य स्मरण रखनी है वह यह है कि ये बातें जितनी अच्छी हैं वे केवल परमेश्वर से प्राप्त करने का एक माध्यम भर ही हैं।

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