आगे बढ़ें और मांगे!

आगे बढ़ें और मांगे!

और हमें उसके सामने जो हियाव {साहस का सौभाग्य, वह विश्वास} होता है (आश्वासन, साहस का विशेषाधिकार), वह यह है; कि यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो वह हमारी सुनता है (उसकी अपनी योजना की सहमति में)। (1 यूहन्ना 5:14)

मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहती हूं कि जब आप प्रार्थना में परमेश्वर के पास जाते हैं तो आत्मविश्वास से भरे हों। परमेश्वर चाहता है कि हम प्रार्थना का आनंद लें, और यह तब तक नहीं होगा जब तक हम गलती करने से डरते हैं। वह हमें सुनने और उत्तर देने का वायदा करता है और हमें जवाब देने का, अगर हमने उसकी इच्छा के अनुसार प्रार्थना की है, लेकिन क्या होगा यदि हम कुछ ऐसा मांगते हैं जो उसकी इच्छा नहीं है? हमें अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ करने और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार प्रार्थना करने की आवश्यकता है, लेकिन हमें दुश्मन को इतने भय से हमको भरने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, कि हम परमेश्वर से उन चीजों को मांगने से डरें जो हमारे दिल में हैं।

अगर हम परमेश्वर की इच्छा के बाहर प्रार्थना करते हैं तो सबसे बुरी बात यह हो सकती है कि हमें वह नहीं मिलेगा जो हम मांगते हैं – और यह हमारी परम भलाई के लिए ही होगा! परमेश्वर हमारे दिलों को जानता है, और यदि हम कोई गलती करते और उससे कुछ माँगते है तो वह क्रोधित नहीं होगा। हमें इस डर से उसके पास जाने की आवश्यकता नहीं है कि हम गलती कर सकते हैं या यदि हम बहुत अधिक मांगते हैं तो वह अप्रसन्न हो जाएगा। मेरा तरीका परमेश्वर जो मुझे चाहिए उससे मांगने का यह है, हमेशा उसके वचन का सबसे अच्छा पालन करती हूं और फिर कहती हूं, “प्रभु, अगर मैंने जो कुछ भी मांगा वह मेरे लिए सही नहीं है, तो मुझे भरोसा है कि आप मुझे वह नहीं देंगे।” विश्वास के साथ और निर्भीकता से उसके पास जाए, और उससे उत्तर प्राप्त करने की अपेक्षा करें।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः आगे बढ़ें और मांगे!

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