मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है; और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से (अनुसरण करने और आश्रित होने और संपूर्ण भरोसा रखने से) जीवित हूँ जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया और मेरे लिए अपने आपको दे दिया। -गलातियों 2:20
जब मैंने पहले पहले सेवकाई शुरू की मैं लोगों की सहायता करना चाहती थी। तब परमेश्वर ने मुझ से बात किया और कहा, ‘‘जब तुम अपने आपको खाली करते हो तो तुम ने केवल अपने अंदर वह योग्यता छोड़ी है जो पवित्र आत्मा पर आश्रित होने के लिए है। जब तुम ने सिखा है कि तुम जो कुछ भी हो और जो कुछ उससे आई हो तब मैं तुम्हें अपने चारों ओर पड़ोस में भेज दूँगा कि उनके खाली पात्रों को तुम उस जीवन से भर दो जो मैंने तुम्हारे खाली पात्र में डाला है।’’ अपने खाली होने के स्थान पर पहुँचना एक आसान कार्य नहीं है और यह शायद ही एक तीव्र कार्य है।
मैंने बहुत वर्ष इस बात पर आश्चर्य करते हुए बिताए कि क्या कभी मैं दर्द के बजाए दीनता प्रगट करने के किसी स्थान पर कभी पहुँच पाऊँगी-स्वतन्त्र होने के बजाए परमेश्वर पर भरोसा रखने अपने स्वयं के बजाए परमेश्वर की बाहों पर भरोसा रखें। यदि आप ऐसा ही महसूस करते हैं तो मुझे आपको उत्साहित करने दें कि जब तक आप हार नहीं मानते हैं आप प्रगति कर रहे हैं। ऐसा दिख सकता है कि मानो आप किसी स्थान पे पहुँच रहे हो जिसकी अभिलाषा आप ने की है वह आपको हमेशा के लिए वहाँ ले जा रहा है, परन्तु ‘‘मुझे इस बात का भरोसा है कि जिस ने तुम में अच्छा काम आरंभ किया है, वही उसे यीशु मसही के दिन तक पूरा करेगा।’’ (फिलिप्पियों 1:6)
इसके पश्चात् ही हम जानते हैं कि यह हम नहीं हैं जो भले कार्य कर रहे हैं परन्तु प्रभु है कि हम उसकी इस प्रकार सेवा भी शुरूकर सकते हैं जैसा हमें करना चाहिए। किसी ने कहा है, ‘‘एक पुरूष या स्त्री को जो परमेश्वर को सारी महिमा देंगे उनके द्वारा परमेश्वर क्या कुछ कर सकता है।’’ यदि हम आगे बढ़ते रहें और आत्मिक परिपक्वता के विषय में गंभीर बने रहें हम सब क्रमशः स्वयं से खाली हो जाएँगे और परमेश्वर द्वारा भरे जाने के लिए तैयार होंगे ताकि दूसरे खाली लोगों को भर सकें।