सलिये हम कल्पनाओं का, और हर एक ऊँची बात का, जो परमेश्वर की (सही) पहिचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते है; और हर एक भावना को कैद करके मसीह (जो अभिषिक्त) का आज्ञाकारी बना देते है। 2 कुरिन्थियों 10:5
प्रभु हमें शैतान के ऊपर जय देगा, परन्तु यह तब करेगा जब हम उसको प्रार्थना में पुकारेंगे और उससे अपनी समस्याओं को सुलझाने की माँग करेंगे।
कुछ भी हमारी परिस्थितियों को नहीं बदलेगा अगर हम बस बैठे ही रहें और यह कामना करें कि काश, सबकुछ बदल जायें। हमें एक क्रिया को भी करना है।
प्रभु तो तैयार है, इच्छुक भी है और योग्य है कि वो अपने लोगों के लिए निष्क्रियता, उदासीनता, कामचोरी, सुस्ती और कामों को टालने वाली प्रवृत्ति-के क्षेत्र मे कुछ करें प्रत्येक बाते जो हमें चारों ओर से ढांप कर हमें निराशा, निरूत्साहन और हताश अवस्था भी अपनी भूमिका अदा करना चाहिए।
हम ऐसे लोग नहीं है जिन्हें अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए बुलाया गया है। हम ऐसे लोग हे जिन्हें परमेश्वर के वचन को मजबूती से पकड़कर अपने प्रतिदिन के जीवन में लगाने के लिए बुलाया गया है। ऐसा करने के लिए, हमें आत्मिक रूप से सचेत रहना है-हर समय।