जब वह उनके पांव धो चुका और अपने कपड़े पहिनकर फिर बैठ गया तो उनसे कहने लगा, क्या तुम समझे कि मैं ने तुम्हारे साथ क्या किया? (यूहन्ना 13:12)
मैं विश्वास करती हूँ कि केवल सुरक्षित लोग ही सच्चे दास हो सकते है। यीशु एक दास का तौलिया उठाने और उसके शिष्यों के पाँव धोने के इसलिए योग्य था क्योंकि वह जानता था कि वह कौन था, कहां से वो आया था, और कहां वह जा रहा था। उसके पास डर नहीं था और उसे कुछ भी प्रमाणित करने की आवश्यकता भी नहीं थी, इसलिए वह सेवा करने के लिए आजाद था।
हमारे समाज में बहुत से लोगों को उन्हें यह महसूस कराने वाला बनाने के लिए कि वह कीमती और मूल्यवान है एक ऊँचे पद की आवश्यकता होती है। एक दास होना अक्सर एक छोटा पद करके देखा जाता है, पर परमेश्वर के मन में यह सबसे ऊँचा पद है जो अस्तित्व में है। एक सच्चा दास होना एक नम्र दिल से आरम्भ होता है, और यह वही दिल और आत्मा है जो परमेश्वर के स्वीकार योग्य है। चाहे हमारी संसारिक नौकरी कोई भी क्यों ना हो, परमेश्वर से हमारी बुलाहट उसकी और अन्यों की सेवा करना है।
शिष्यों के पाँव धोने में, यीशु ने उन्हें एक नमूना दिया कि उन्हें कैसे जीवन व्यतीत करना चाहिए, और उन्हें बताया कि अगर वह अन्यों की सेवा करते है, तो वह आशीष पाएंगे और इस हद तक प्रसन्न होंगे कि उनसे लोग ईर्ष्या करेंगे (देखें यूहन्ना 13:17)। जब हम एक दूसरे की सेवा करते है, तब हम एक दूसरे का हिस्सा बन जाते है। हम प्रेम के सच्चे अर्थ का अनुभव करते है। यीशु सब से ऊँचा था, फिर भी उसने स्वयं को नम्र किया और एक दास बन गया। क्या आप उसका अनुसरण करने के इच्छुक है?
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः जितने भी लोगों की आप सहायता कर सकते, जब भी आप कर सकते जरूर करें।