
इसलिए जहाँ तक अवसर मिले हम सबके (न केवल उनके लिए उपयोगी या लाभप्रद हो परन्तु उनके आत्मिक लाभ के लिए भी करना) साथ भलाई (नैतिक रूप से भला) करें, विशेष करके विश्वासी भाइयों (जो आपके संग परमेश्वर के परिवार से संबंधित हों) के साथ। -गलातियों 6:10
हमारी बेटी सान्ड्रा ने बताया कि वह कुछ एक लोगों को देखने से आशंका से घिर जाती थी। क्योंकि वह व्यक्ति पिछले समय में उसके लिए खुशनुमा नहीं थे। जब वह सामना करने नकारात्मक विचारों से संघर्ष करती थी परमेश्वर ने उसके हृदय से बातें की और कहा, “तुम्हे इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि अन्य लोग तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार करते हैं। तुम्हारी चिंता इस बात में होनी चाहिए कि तुम उसके साथ कैसे व्यवहार करती हो।” यह संदेश सान्ड्रा के जीवन पर और मेरे जीवन पर भी एक बहुत बड़ा प्रभाव डाला।
हम अपने साथ होने वाले व्यवहार के विषय में बहुत चिन्तित होते हैं कि दूसरों के साथ हम कैसा व्यवहार करते हैं उसके प्रति हम बहुत कम या न के बराबर चिंता करते है। हम इस बात से भयभीत होते हैं कि कोई हमारा फायदा उठाएगा, विशेष करके पीछले समय में किसी के साथ हमारा संबंध दुःखदायी रहा हो। भय और आशंका जो हम महसूस करते हैं शायद हमें इस बात के प्रति जो कही जाती है या की जाती है अधिक संवेदनशील बनाती है। संभव है हम बातों की गलत व्याख्या करें और उन्हें नकारात्मक रीति से देखें हमारी अपेक्षाओं के कारण। जिस बात से हम भय रखते हैं वह हम पर आती है परमेश्वर के वचन के अनुसार (अय्यूब 3:25 देखिए)। मैं सहमत हूँ कि इस बात से चिन्तित नहीं होना कठिन है कि अन्य लोग हमसे बुरा बर्ताब करेंगे क्योंकि उन्होंने पीछले समय में ऐसा किया है। इसीलिए इसके विषय में बिल्कुल नहीं सोचना बहुत महत्वपूर्ण है।
हमें अपने आपको परमेश्वर के साथ रख छोड़ना है और उस पर भरोसा करना है कि वह हमारी देखभाल करता है (1 पतरस 4:19 देखिए)। वह हमारा रक्षक है (अय्यूब 19:25 देखिए) और जब तक हम दूसरों के प्रति अच्छा बर्ताव करते हैं हमारे शत्रुओं के साथ भी परमेश्वर हमारे जीवन में एक अच्छा प्रतिफल लाता है। बाइबल कहती है कि हमें आशीष बनने का “मन” रखना है, (गलतियों 6:10 देखिए) इसका तात्पर्य है कि हमारे मन में ऐसी बातें भरी होनी चाहिए कि हम कैसे दूसरों की सहायता कर सकते हैं। जब हमारे मन ऐसे तरीकों से भरे हुए होते हैं कि कैसे दूसरों के लिए आशीष बने, हमारे पास अपने व्यक्तिगत समस्याओं पर ध्यान देने का समय नहीं होता है। यह परमेश्वर को हमारे जीवन में काम करने के लिए अवसर देता है।